Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 19
________________ विषयानुक्रम पृष्ठ " १८ " ८७ ३१ गाथा व सूत्र प्रथम अध्ययन : उत्क्षित ज्ञात उत्क्षेप गाथा सूत्र १-६ संगहणी गाथा मेघ के नगर-परिवार आदि का वर्णन-पद " ११-१७ धारिणी का स्वप्न-दर्शन-पद श्रेणिक को स्वप्न-निवेदन-पद श्रेणिक का स्वप्न महिमा निदर्शन पद " २० धारिणी का स्वप्न-जागरिका-पद स्वप्न-पाठक-नियन्त्रण पद श्रेणिक द्वारा स्वप्नफल-पृच्छा पद स्वप्न-फल-कथन-पद संग्रहणी गाथा स्वप्न पाठक-विसर्जन-पद श्रेणिक द्वारा स्वप्न-प्रशंसा-पद धारिणी का दोहद-पद धारिणी का चिन्ता-पद परिचारिकाओं द्वारा चिन्ता का कारण-पृच्छा-पद परिचारिकाओं द्वारा श्रेणिक को निवेदन-पद " ३६ श्रेणिक द्वारा चिन्ता का कारण पृच्छा-पद " ४०-४४ धारिणी द्वारा चिन्ता-कारण-निवेदन-पद " ४५ श्रेणिक द्वारा आश्वासन-पद कुमार अभ्य द्वारा श्रेणिक की चिन्ता का ४७-४८ कारण पृच्छा-पद श्रेणिक द्वारा चिन्ता-कारण निवेदन पद " ४E अभय द्वारा आश्वासन पद "५०-५१ अभय द्वारा देवाराधना-पद ५२-५३ - देव का आगमन पद " ५४-५८ देव का अकालमेघ-विकुर्वणा-पद " ५६-६६ अभय द्वारा देव का प्रतिविसर्जन-पद " ७०-७१ धारिणी का गर्भचर्या-पद " ७२ मेघ का जन्म-वर्धापन-पद " ७३-७५ ३४ गाथा व सूत्र मेघ का जन्मोत्सव-करण-पद सूत्र ७६-८० मेघ का नाम आदि (संस्कार) करण-पद मेघ का लालन-पालन पद ८२-८३ मेघ का कलाग्रहण-पद ८४-८८ मेघ का पाणिग्रहण-पद ८६-६० प्रीतिदान-पद ६१-६३ महावीर का समवसरण-पद ६४. मेघ की जिज्ञासा-पद ६५-६६ कंचुकी पुरुष का निवेदन-पद मेघ का भगवान के समीप गमन-पद " ६८-६६ धर्म-देशना-पद " १०० मेघ का प्रव्रज्या-संकल्प-पद " १०१ मेघ का माता-पिता से निवेदन-पद " १०२-१०४ धारिणी की शोकाकुलदशा-पद १०५ धारिणी और मेघ का परिसंवाद-पद " १०६-११३ मेघ का एक दिवसीय-राज्य-पद " ११४-१२० मेघ के निष्कमण प्रायोग्य उपकरण-पद " १२१-१२३ नापित के द्वारा मेघ का अग्रकेश-कल्पन-पद " १२४-१२७ मेघ का अलंकरण-पद मेघ का अभिनिष्क्रमण महोत्सव-पद " १२६-१४४ शिष्य-भिक्षा-दान-पद " १४५-१४८ मेघ द्वारा प्रव्रज्या-ग्रहण-पद " १४६-१५१ मेघ का मनः संक्लेश-पद " १५२-१५४ मेघ को संबोध-पद . १५५ भगवान द्वारा सुमेरुप्रभ-भव का निरूपण-पद " १५६-१६२ भगवान द्वारा मेरुप्रभ-भव का निरूपण-पद " १६३-१७३ मेरुप्रभ द्वारा मण्डल-निर्माण-पद " १७४-१७७ दावानल से भीत श्वापदों का मण्डल में "१७८-१७६ प्रवेश-पद मेरुप्रभ का का पादोत्क्षेप-पद " १८०-१८७ उस संदर्भ में होने वाली तितिक्षा का "१८८-१८६ उपदेश-पद ५-३८ " १२८ १८ १८ १६ १६ २१ २३ ५२ २३ २४ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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