Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
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शतक ८.-उद्देशक ८.
भगवत्सुधर्मस्वामिप्रणीत भगवतीसूत्र. ११. [प्र०] तं भंते ! किं इत्थी बंधइ, पुरिसो बंधइ, नपुंसगो बंधइ; इत्थीओ बंधति, पुरिसा बंधति, नपुंसगा बंधति; नोइत्थी, नोपुरिसो, नोनपुंसगो बंधइ ? [उ०] गोयमा नोइत्थी बंधइ, नोपुरिसो बंधइ, जाव नोनपुंसगो बंधइ; पुवपडिवन्नए पहुंच अवगयवेदा वा बंधति, पडिवजमाणए पडुच्च अवगयवेदो वा वंधति अवगयवेदा वा बंधंति ।
१२. [प्र०] जइ भंते ! अवगयवेदो या बंधइ, अवगयवेदा वा बंधंति तं भंते ! किं १ इत्थीपच्छाकडो बंधइ, २ पुरिसपच्छाकडो बंधइ, ३ नपुंसगपच्छाकडो बंधइ, ४ इत्थीपच्छाकडा बंधंति ५ पुरिसपच्छाकडा बंधंति, ६ नपुंसगपच्छाकडा बंधति; उदाहु इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य बंधति, इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडा य बंधंति ४, उदाहु इत्थीपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडो य वंधइ ४, उदाहु पुरिसपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ ४, उदाहु इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य णपुंसगपच्छाकडो य बंधइ ८; एवं एते छचीसं भंगा, जाव उदाहु इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति ? [उ०] गोयमा ! १ इत्थीपच्छाकडो वि बंधइ, २ पुरिसपच्छाकडो वि बंधइ, ३ नपुंसगपच्छाकडो वि बंधइ; ४ इत्थीपच्छाकडा वि वंधति, ५ पुरिसपच्छाकडा वि बंधंति, ६ नपुंसगपच्छाकडा वि बंधंति; ७ अहवा इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य बंधइ, एवं एए चेव छच्चीसं भंगा भाणियचा, जाव अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसकपच्छाकडा य बंधति ।
१३. [प्र०] तं भंते ! किं १ बंधी बंधइ बंधिस्सइ, २ बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, ३ बंधी न बंधइ बंधिस्सइ, ४ बंधी न बंधा न बंधिस्सइ, ५ न बंधी बंधइ बंधिस्सइ, ६ न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, ७ न बंधी न बंधइ बंधिस्सइ, ८ न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ? [उ०] गोयमा! भवागरिसं पडुश्च अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, एवं तं चेव सवं जाव अत्थेगतिए न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ । गहणागरिसं पडुच्च अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, एवं जाव अत्थेगतिए न बंधी बंधइ बंधिस्सइ, णो चेव णं न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, अत्थेगतिए न बंधी न बंधड बंधिस्सइ, अत्यंगतिए न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ।
११. [प्र०] हे भगवन् ! ते ऐर्यापथिक कर्मने शु १ स्त्री बांधे, २ पुरुष बांधे, ३ नपुंसक बांधे, ४ स्त्रीओ बांधे, ५ पुरुषो बांधे, ऐपिथिकर्म वेद ६ नपुंसको बांधे, ७ नोस्त्री, नोपुरुष, के नोनपुंसक बांधे ! [उ०] हे गौतम ! स्त्री न बांधे, पुरुष न बांधे, यावद् नपुंसको न बांघे; अथवा पूर्वप्रतिपन्नने आश्रयी वेदरहित जीवो बांधे, अथवा प्रतिपद्यमानने आश्रयी वेदरहित जीव अथवा वेदरहित जीवो बांधे.
१२. प्र०] हे भगवन् ! जो वेदरहित जीव या वेदरहित जीवो ऐपिथिक कर्मने बांधे तो शुं १ स्त्रीपश्चात्कृत (जेने पूर्वे स्त्रीवेद स्त्रीपश्चात्कृतादि
पा. होय एवो) जीव वांधे, २ पुरुषपश्चात्कृत (जेने पूर्वे पुरुषवेद होय एवो) जीव बांधे, ३ नपुंसकपश्चात्कृत (जेने पूर्वे नपुंसक वेद होय एवो) जीव बांधे, ४ स्त्रीपश्चात्कृत जीवो बांधे, ५ पुरुषपश्चात्कृत जीवो बांधे, के ६ नपुंसकपश्चात्कृत जीवो बांधे ४ अथवा स्त्रीपश्चात्कृत अने पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधे ? स्त्रीपश्चात्कृत अने पुरुषपश्चात्कृत जीवो बांधे ? ४ अथवा स्त्रीपश्चात्कृत अने नपुंसकपश्चात्कृत बांधे ? ४ अथवा पुरुषपश्चात्कृत अने नपुंसकपश्चात्कृत बांधे ? ८ अथवा स्त्रीपश्चात्कृत, पुरुषपश्चात्कृत अने नपुंसकपश्चात्कृत पण कहेवा. ए प्रमाणे ए छन्वीश भंगो जाणवा, यावत् अथवा स्त्रीपश्चात्कृतो, पुरुषपश्चात्कृतो अने नपुंसकपश्चात्कृतो बांधे ? [उ०] हे गौतम ! १ स्त्रीपश्चात्कृत पण बांधे. २ पुरुषपश्चात्कृत पण बांधे अने ३ नपुंसकपश्चात्कृत पण बांधे ४ स्त्रीपश्चात्कृतो बांधे, ५ पुरुषपश्चात्कृतो बांधे अने ६ नपुंसकपश्चात्कृतो पण बांधे, अथवा ७ स्त्रीपश्चात्कृतो अने पुरुषपश्चात्कृतो बांधे, ए प्रमाणे ए छन्वीश भांगा कहेवा. यावत् अथवा स्त्रीपश्चात्कृतो, पुरुषपश्चात्कृतो अने नपुंसकपश्चात्कृतो बांधे.
ऐपिथिक कम संबंधे भांगा.
१३. [प्र०] हे भगवन् ! ते (ऐर्यापथिक कर्मने) कोइए शुं बांध्यु छे, बांधे छे, अने बांधशे; २ बांध्यु छे, बांधे छे अने नहीं बांधे; ३ बांध्यु छे, बांधतो नथी अने बांधशे; ४ बांध्यु छे, बांधतो नथी अने नहि बांधे; ५ बांध्युं नथी बांधे छे अने बांधशे; ६ बांध्यु नथी, बांधे छे अने नहि बांधे; ७ बांध्यु नथी, बांधतो नथी अने बांधशे; ८ बांध्यु नथी, बांधतो नथी अने बांधशे नही ! [उ०] हे गौतम ! *भवाकर्षने आश्रयी कोइ एके बांध्यु छे, बांधे छे अने बांधशे; कोइ एके बांध्यु छे, बांधे छे अने बांधशे नहीं; ए रीते बधुं ते प्रमाणे ज जाणवू, यावत् कोइ एके बांध्यु नथी, बांधतो नथी अने बांधशे नहीं. ग्रहणाकर्षने आश्रयी कोइ एके बांध्युं छे, बांधे छे अने बांधशे. ए प्रमाणे यावत् कोइ एके बांध्यु नथी, बांधे छे अने बांधशे; पण 'बांध्यु नथी, बांधे छे अने बांधशे नहीं' ए भांगो नथी. कोइ एके बांध्यु नथी, बांधतो नथी अने बांधशे; कोई एके बांध्यु नथी, बांधतो नथी अने बांधशे नहीं.
१३. * अनेक भवने विषे उपशमश्रेण्यादिनी प्राप्तिथी ऐर्यापथिक कर्मपुद्गलोर्नु आकर्ष-ग्रहण करवू ते भवाकर्ष, अने एक भवने विषे ऐपिथिक कर्मपुद्गलोर्नु प्रहण करवू ते प्रहणाकर्ष-टीका.
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