Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
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चउत्थो उद्देसो।
१. रायगिहे जाव-एवं वयासी-दो भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहनंति, एगयओ साहण्णित्ता किं भवति। 1 गोयमा! दुप्पपसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहा कजर, एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयो परमाणुपोग्गले भवा।
२.प्रतिन्नि भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहन्नति, साहण्णित्ता किं भवति ? [उ०] गोयमा तिपएसिप बंधे भवति । से भिजमाणे दुहा वि तिहा वि कजइ, दुहा कन्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिप खंधे भवर, तिहा कजमाणे तिण्णि परमाणुपोग्गला भवंति ।
३.प्र० चत्तारि भंते ! परमाणुपोग्गला एगयो साहन्नंति ? जाव-पुच्छा । [उ०] गोयमा ! चउपएसिए खंधे भवर, से मिजमाणे दुहा वि तिहा वि चउहा वि कजइ, दुहा कजमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ तिपएसिए खंधे भवा, महवा दो दुपएसिया खंधा भवंति । तिहा कजमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दुप्पएसिए खंधे भवर, पउहा कजमाणे चत्तारि परमाणुपोग्गला भवंति ।
४. [प्र०] पंच भंते ! परमाणुपोग्गला-पुच्छा। [उ०] गोयमा! पंचपएसिए बंधे भवइ । से मिजमाणे दुहाऽवि तिहाऽषि चउहाऽवि पंचहाऽवि कजइ दुहा कजमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयो दुप
चतुर्थ उद्देशक.
बे परमाणुओ
१. [प्र०] राजगृह नगरमां यावद्-आ प्रमाणे पूज्यु-हे भगवन् ! बे परमाणुओ एकरूपे एकठा थाय, अने एकरूपे एकठा थहने पछी एकरूपे एकठा तेनु शुं थाय ! [उ०] हे गौतम! तेनो द्विप्रदेशिक स्कंध थाय, अने जो तेनो मेद थाय तो तेना बे विभाग थाय-एक तरफ एक बानेशुं थाय?
परमाणुपुद्गल रहे, अने बीजी तरफ एक (बीजो) परमाणुपुद्गल रहे.. . अण परमाणुमो.
२. [प्र०] हे भगवन् ! त्रण परमाणुपुद्गलो एकरूपे एकठा थाय ? अने एकठा थईने तेनुं शुं थाय ? [उ०] हे गौतम! तेनो त्रिप्रदेशिक स्कंध थाय. जो तेनो भेद-वियोग थाय तो तेना बे के त्रण विभाग थाय, जो बे विभाग थाय तो एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, अने बीजी तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कंध रहे. .. तथा जो तेना त्रण विभाग थाय तो त्रण परमाणुपुद्गल रहे.
. चार परमाणुओ.
३. [प्र०] हे भगवन् । चार परमाणुपुद्गलो एकरूपे एकठा थाय ? इत्यादि प्रश्न. [२०] हे गौतम ! चतुष्पदेशिक स्कंध याय, अने जो ते स्कंधनो मेद थाय तो तेना बे, त्रण अने चार भाग थाय. जो बे भाग थाय तो एक तरफ एक परमाणुपुद्गल अने एक तरफ एक त्रिप्रदेशिक स्कंध रहे.. .... अथवा बे द्विप्रदेशिक स्कंध रहे. | . जो त्रण भाग थाय तो एक तरफ वे छूटा परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कंध रहे. | ... जो चार भाग थाय तो जूदा चार परमाणुपुद्गल रहे.
|•|| II. पांच परमाणुओ.
१. [प्र०] हे भगवन् । पांच परमाणुओ एकरूपे एकठा थाय ! [अने पछी शु थाय ?] इत्यादि प्रश्न. [उ०] हे गौतम ! पंचप्रदेशिक स्कंध थाय. जो ते मेदाय तो तेना बे, त्रण, चार अने पांच विभाग थाय. जो तेना बे विभाग थाय तो एक तरफ एक परमाणु
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