Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust

View full book text
Previous | Next

Page 283
________________ २६३ शतक १२.-उद्देशक ४. भगवत्सुधर्मस्वामिप्रणीत भगवतीसूत्र. पसिए खंधे, एगयओ तिपएसिप खंधे भवइ, तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, पगयओ तिप्पएसिए खंधे भवति. अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति; चउहा कन्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुप्पएसिए खंधे भवति, पंचहा कज्जमाणे पंच परमाणुपोग्गला भवंति । ५. [प्र०] छन्भंते ! परमाणुपोग्गला-पुच्छा । [उ०] गोयमा! छप्पपसिए खंधे भवइ; से भिजमाणे दुहाऽवि तिहाऽवि जाव-छविहाऽवि कजइ, दुहा कजमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयो दुप्पएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ; अहवा दो तिपएसिया खंधा भवन्ति; तिहा कजमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवहा अहवा तिन्नि दुपएसिया खंधा भवन्ति, चउहा कजमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपएसिए खंधे भवा अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओदो दुप्पएसिया खंधा भवंति; पंचहा कजमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे भवति; छहा कजमाणे छ परमाणुपोग्गला भवंति । . ६. [प्र०] सत्त भंते ! परमाणुपोग्गला-पुच्छा। [उ०] गोयमा! सत्तपएसिए खंधे भवद; से मिजमाणे दुहाऽवि जावसत्तहाऽवि कजह दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ अहवा पगयओ दुप्पएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ तिप्पएसिए खंधे एगयओ चउपएसिए खंधे भवह, तिहा कन्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवति, अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए खंधे भवति, चउहा कजमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवति, अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, .. छ परमाणुमो. पुद्गल अने एक तरफ चतुष्प्रदेशिक स्कंध थाय. ..... अथवा एक तरफ द्विप्रदेशिक स्कंध अने एक तरफ त्रिप्रदेशिक स्कंध थाय. | ./..... जो तेना त्रण विभाग थाय तो एक तरफ बे परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ त्रिप्रदेशिक स्कंध थाय. | , | .... अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल अने एक तरफ जुदा जुदा बे द्विप्रदेशिक स्कंधो थाय. ना..|... जो तेना चार विभाग थाय तो एक तरफ जुदा त्रण परमाणुओ अने एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कंध थाय. | म न .. जो तेना पांच विभाग थाय तो जुदा पांच परमाणुओ थाय. | ५. [प्र०] हे भगवन् ! छ परमाणुपुद्गलो संबन्धे प्रश्न. [उ०] हे गौतम ! षट्प्रदेशिक स्कंध थाय. जो तेनो मेद थाय तो तेना बे, त्रण, चार, पांच के छ विभाग थाय. जो तेना बे भाग थाय तो एक तरफ एक परमाणुपुद्गल अने एक तरफ एक पंचप्रदेशिक स्कंध थाय. ..... अथवा एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कंध अने एक तरफ एक चतुष्पदेशिक स्कंध थाय. | . .... अथवा बे त्रिप्रदेशिक स्कंधो थाय. ... .... जो तेना त्रण भाग थाय तो एक तरफ जुदा जुदा बे परमाणुपुद्गल अने एक तरफ एक चतुष्प्रदेशिक स्कंध थाय. ग .. . अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कंध अने एक त्रिप्रदेशिक स्कंध थाय. | D R .... अथवा त्रण द्विप्रदेशिक स्कंधो थाय. | ... जो तेना चार भाग थाय तो एक तरफ जुदा त्रण परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ त्रिप्रदेशिक स्कंध थाय. I II... अथवा एक तरफ बे परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ द्विप्रदेशिक बे स्कंधो थाय | I ... जो तेना पांच भाग थाय तो एक तरफ जुदा चार परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कंध थाय. | • IRRI. .. जो तेना छ भाग थाय तो जुदा जुदा छ परमाणु पुद्गलो थाय. i ६. [प्र०] हे भगवन् ! सात परमाणुपुद्गलो संबन्धे प्रश्न. [उ०] हे गौतम ! सप्तप्रदेशिक स्कंध थाय. जो तेना विभाग थाय तो बे, सात परमाणभो. त्रण, यावत् सात विभाग थाय छे. जो बे विभाग थाय तो एक तरफ एक परमाणुपुद्गल अने एक तरफ छप्रदेशिक स्कंध थाय. ....... अथवा एक तरफ द्विप्रदेशिक स्कंध अने एक तरफ पंचप्रदेशिक स्कंध थाय. ...... अथवा एक शिक स्कंध अने एक तरफ चतुष्प्रदेशिक स्कंध थाय. ..... जो तेना त्रण भाग थाय तो एक तरफ बे परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ पंचप्रदेशिक स्कंध थाय। गा. ..... अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, एक तरफ द्विप्रदेशिक अने चतुष्प्रदेशिक स्कंध थाय. ..... अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल अने एक तरफ बे त्रिप्रदेशिक स्कंध थाय. [ ...]. अथवा एक तरफ बे द्विप्रदेशिक स्कंधो अने एक तरफ एक त्रिप्रदेशिक स्कंध थाय. | III...]. जो तेना चार भाम थाय तो एक तरफ त्रण परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ एक चतुष्प्रदेशिक स्कंध थाय. .. अपवा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422