Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust

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Page 355
________________ अट्ठमो उद्देसो। १. [प्र०] कति णं भंते ! कम्मपगंडीओ पण्णताओ ? [उ०] गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीओ पण्णतामओ, एवं बंधविरउद्देसो भाणियो निरवसेसो जहा. पनवणाए । 'सेवं भंते ! सेवं भंते! ति। तेरसमसए अट्ठमो उद्देसो समत्तो। अष्टम उद्देशक. कर्मप्रकृति. १. [प्र०] हे भगवन् ! कर्मनी केटली प्रकृतिओ कही छे? [उ०] हे गौतम ! कर्मनी आठ प्रकृतिओ कही छे, अहिं प्रज्ञापना सत्रनो *बंधस्थिति नामे संपूर्ण उद्देशक कद्देवो. 'हे भगवन् ! ते एमज छे, हे भगवन् ! ते एमज छे-एम कही यावत्-विहरे छे. त्रयोदशशतें अष्टम उद्देशक समाप्तः नवमो उद्देसो। , १. रायगिहे जाव-एवं वयासी-[प्र०] से जहानामए केइ पुरिसे केयाघडिय गहाय गच्छेजा, एवामेव अणगारे वि मावियप्पा केयाघडियाकिञ्चहत्थगएणं अप्पाणेणं उर्ल्ड वेहासं उप्परजा[उ०] गोयमा! हंता, उप्परजा । २. [३०] अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाई पभू केयाघडियाहत्यकिञ्चगयाई रूवाई विउवित्तए ? [उ०] गोयमा! से जहानामए जुवति जुवाणे हत्थेणं हत्थे-एवं जहा तइयसए पंचमुद्देसए जाव-'नो चेव णं संपत्तीए विउधिसु वा विउचिंति वा विउविस्संति वा'। नवम उद्देशक. १. [प्र०] राजगृहमा [भगवान् गौतम] यावत्-आ प्रमाणे बोल्या के हे भगवन्! जेम कोइ एक पुरुष दोरडाथी बांधेली घटिकाने क्रियशक्तिभी कोई दोरडाची बांधली लइने गमन करे, ए प्रमाणे भावितात्मा साधु दोरडाथी बांधेली घटिकाचें कार्य हस्तगत करी [वैक्रियलब्धिथी एबुं रूप धारण करी] पोते पटिका लेने पवा ऊंचे आकाशमा उडे ? [उ०] हा गौतम! उडे.. रूपे गमन करे। ___ . २. [प्र०] हे भगवन् ! भावितात्मा अनगार दोरडाथी बांधेली घटिकाने हाथमां धारण करवारूप केटला रूपो विकुर्वी शकवाने फेटका रूपो विकुवी समर्थ होय! [उ०] हे गौतम! 'जेम कोइ एक युवान पुरुष युवति स्त्रीने हाथ वडे आलिंगे'-इत्यादि ए प्रकारे तृितीयशतकना पांचमा उद्देशकमां कह्या प्रमाणे यावत्-संप्राप्ति (संपादन) करवावडे तेवां रूपो विकुळ नथी, विकुर्वता नथी अने विकुर्वशे पण नहि. * प्रज्ञा० पद २४ ५० ४९१-२. २ । भग० श. ३ उ० ५.१० १९०-१. www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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