Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
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पांच नैरयिक.
द्विकसंयोगी ८४. विकल्पो.
१४४
श्रीरामचन्द्र जिनागमसंपदे
शतक ९. - उदेशक ३२०
कपमा एगे समाए होला १२ अहवा एगे रणयभाए एगे यालुयप्यभार एगे पंकपनाए एगे अससमा होला १३० अहचा एगे रयणप्पभाए एगे वालुवयभाए एगे धूमप्यभार एगे तमाए होला १४ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयंण्यभाष पगे धूमव्यभार एगे असत्तमार होळा १५ अहवा एगे रयणाभाव एगे बालुयप्यभार एगे तमाए एगे असत्तमाय होजा १६ या एगे रणभाए एगे पंकप्पाए एगे धूमप्यभार एगे समाए होजा १७ अहया एगे रयप्यभाव एगे पंकल्पभाए एगे धूमप्यभार एगे असत्तमाए होजा १८ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकल्पभाए एगे समाए एगे असत्समाए होजा १९ अवाएगे रयणप्पभाए पगे धूमप्यभार एगे तमार पगे आहेसरामार होजा २०६ अध्या एगे सकरण्यभार एगे बालु ययभार एगे पंकणभार एगे धूमप्यभार होता २१ । एवं जहा रचणप्पभाए उवरिमाओ पुंढवीओ चारियाओं तहा करण्यभावि उवरिमाओ चारियद्याओ; जाव अहवा एगे सकरप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाप होजा ३० । अवाएगे वालुवप्नाए एगे पंकल्पनाए एगे धूमप्यभाए एगे तमाए होला ३१ हवा गे बालुयप्यभाव एगे पंकप्पा एगे धूमप्पभाए एगे असत्तमार दोखा ३२ अहवा एगे वालुयप्यभाए एगे पंकप्पा एगे समाए एगे अससमाए होजा ३३: अहवा एंगे वालुयप्पभार एगे धूमप्यभाए एगे समाए एगे अससमाए होला ३४ अहवा मे पंकभार एगे धूमप्यभार ए तमाए एगे असत्तमाए होजा ३५ ।
१५. [२०] पंच भंते! या नेरद्र पवेसणणं पविसमाणा कि रयणप्पभार होजा पुच्छा [30] गंगेया ! रयणपभाए वा होना, जाव आहेससमा वा दोखा ।
अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि सक्करप्पभाए होजा; जाव अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए तिन्नि सक्करप्पभाए होजा; एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए तिन्नि असत्तमाप होजा । अहवा तिन्नि
अथवा एक रक्तप्रभागां एक प्रभाग एक धूमप्रभाग अने एक तमः प्रभामां होय. २ अथवा एक रत्नप्रभामां एक पंकप्रभामा एक धूमप्रभागां अने एक असाम पृथिवीमां होय. [वे निकल्प क्या.] १ अथवा एक रजप्रभागां एक पंकप्रभामों एक तमः प्रभाम अने एक अध:सप्तम नरकमां होय. [ एक विकल्प थयो . ] १ अथवा एक रत्नप्रभामां एक धूमप्रभामां एक तमः प्रभामां अने एक अधः सप्तम नरकमां होय. [एक विकल्प थयो. ए प्रमाणे बचा महीने रत्नप्रभाना संयोगाच्या ४-३-३-३-२-१२-१-१-बीश विकल्प थया. ] १ अथवा एक सर्वाभामां एक वालुकाप्रभागां एक पंकप्रभागां अने एक धूमप्रभामां होय. ए प्रमाणे जेम रत्नप्रभापृथिवीनो बीजी उपरनी पृथिवीओ साथै संचार (योग) कर्मों, तेम सर्वप्रभा पृथियोनो पण भीजी बधी उपरनी पृथिवीओ साथै योग करवो यावत् १० अथवा एक शर्कराप्रभामां एक धूमप्रभामां एक तमाम अने एक अधः सप्तम नरकमां होय. [ शर्कराना संयोगवाळा दश विकल्प थया. ] १ अथवा एक बालुकाप्रभामा एक पंवाभामा एक धूमप्रभामां अने एक तमः प्रभामां होय. २ अथवा एक वालुकाप्रभामां एक पंकप्रभामां एक धूमप्रभाम अने एक अधः सप्तम पृथिवीमां होय. ३ अथवा एक वालुकाप्रभामां एक पंफप्रभामां एक तमःप्रभामां अने एक अधः सप्तम पृथिवीमां होय. ४ अथवा एक वालुकाप्रभामां एक धूमप्रभामां एक तमाम अने एक संयोगाला चार विकल्प थया.] १ अथवा एक पंकप्रभामा एक धूमप्रभामो एक [ए प्रमाणे २०१०-४-१ गळीने चतु:संयोगी पांत्री विकल्प क्या. अने सर्व द्विकसंयोगी ६३, त्रिसंयोगी १०५ अने चतुःसंयोगी ३५ वधा मळीने यसो दस विकल्पो चाय छे.] १५. [प्र० ] हे भगवन् ! पांच नैरयिको नैरपिकप्रवेशनवढे १ रत्नप्रभागां पण होय, अने यावद् ७ अधः सप्तम पृथिवीमां पण होय. १ अथवा एक रत्नप्रभामा अने चार शर्कराप्रभामा होय. होय. [ए प्रमाणे 'एक अने
अधः सप्तम नरकमां होय. [ए प्रमा
तमः प्रभामां अने एक अथः सप्तम नरकमां होय. मळीने चार नैरपिकने आश्रयी एकसंयोगी ७,
प्रवेश करता शुं प्रभामां होप इत्यादि प्रश्न. [३०] हे गांगेय ! [ए प्रमाणे एक संयोगी सात विकल्प थपा. ]
यावत् ६ अथवा एक रत्नप्रभामां अने चार अधः सप्तम नरकमां चार विकल्पना रजप्रभा साधे बीजी पृथ्वीओनो योग करता छ भांगा थाय. ] १ अथवा वे रसप्रभामां अने
१ संचारिया - ङ । उच्चारेय - ङ । ३ ग घ ङ विना नान्यत्र ।
* १४. शर्कराप्रभाना संयोगवाळा बीजाथी मांडीने दशमा विकल्प सुधी आ प्रमाणे - २ अथवा एक शर्कराप्रभामां एक वालुकाप्रभामां एक पंकप्रभामां अने एक तमःप्रभापृथिवीमां होय. ३ अथवा एक शर्कराप्रभामां एक वालुकाप्रभामां एक पंकप्रभामां अने एक तमः तमः प्रभामां होय. ( त्रण विकल्प थया. ) १ एक शर्कराप्रभामां एक वालुकाप्रभामां एक धूमप्रभामां अने एक तमः प्रभामां होय. २ अथवा एक शर्कराप्रभामां एक वालुकाप्रभामां एक धूमप्रभामां अने एक तमः त मप्रभाम होय ३ अथवा एक शर्कराप्रभामां एक वालुकाप्रभामां एक तमःप्रभामां अने एक तमः तमःप्रभामां होय. ( त्रण विकल्प थया. ) १ अथवा एक शर्कराप्रभामां एक पंकप्रभामां एक धूमप्रभामां अने एक तमःप्रभामां होय. २ अथवा एक शर्कराप्रभामां एक पंकप्रभामां एक धूमप्रभामां अने एक तमतमामां होय. ३ अथवा एक शर्कराप्रभामां एक पंकप्रभामां एक तमः प्रभामां अने एक तमतमाप्रभामां होय. ( ए त्रण विकल्प थया. ) अथवा १० एक शर्कप्रभागां एक धूमप्रभामां एक तमाम अने एक तमतमामां होय.
** १५. पांच नैरयिकना द्विकसंयोगी १-४, २-३, ३-२, ४-१-ए चार विकल्प थाय छे, तेने रत्नप्रभाना द्विकसंयोगी छ विकल्प साधे गुणतां चोवीश भांगा था. शर्कराप्रमाना उपरनी पृथिवीओ साथै द्विकसंयोगी पांच विकल्प थाय, तेने पूर्वोक्त चार विकल्प साथै गुणतां वीश भांगा थाय. तेवी रीते
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