Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
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उपयोग-साकार उप योगी के अनाकार उपयोगी १
शरीरना वर्णादि.
प्यारा निवास
निःश्वासक
आहारक के अनावा रक
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श्रीरामचन्द्र-जिनागमसंप्रहे
शतक ११. - उदेशक १.
१७. [अ०] से मं भंते! जीवा किं सागारोवडता, गणागारोवडता ? [30] गोयमा ! सागारोवडते वा अणागारोबउ वा अटु मंगा ।
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१८. [अ०] देसि नं भंते! जीवाणं सरीरमा कतिबन्धा, कविगंधा, कतिरसा, कतिफांसा पत्रचा [30] गोयमा ! पंचवत्रा, पंचरसा, दुगंधा अट्ठफासा पन्नत्ता । ते पुण अप्पणा अवन्ना, अगंधा, अरसा, अफ्रासा पन्नत्ता ।
१९. [२०] ते भंते! जीवा कि उस्सासमा निस्सासमा पोउस्सासनिस्सासगा ? [30] गोयमा ! उस्सासप वा निस्सासप वा पोउरसासनिस्सासए वा उस्सासगा था, निस्सासगा था, मोउस्सासनिस्सासगा या अदया उरसाखर प निस्सास य, अहवा उस्सासप य णोउस्सासनिस्सासप य, अहवा निस्सासए य णोउस्सासनिस्सासए प अहवा उस्सासर व निस्सासए व णोउस्सासनिस्सासर य । अट्ठ मंगा एप छद्दीसं मंगा भयंति ।
२०. [प्र० ] ते णं भंते ! जीवा किं आहारगः अणाहारगा ? [30] गोयमा ! णो अणाहारगा, आहारए वा, अणाद्वारए बा एवं अट्ठ भंगा।
१७. [ प्र० ] हे भगवन् ! शुं ते [ उत्पलना ] जीवो साकार उपयोगवाळा छे के अनाकार उपयोगवाळा छे ? [उ०] हे गौतम! एक जीव साकार उपयोगवाको छे, अथवा एक जीव अमाकारउपयोगवाळो छे-इत्यादि पूर्व प्रमाणे ( सू० ८) आठ भांगा कहेना.
१८. [अ०] हे भगवन् । ते [उत्पखना] जीवोना शरीरो केटला वर्णवाल, केटा गंधाळा, केटला रसमा अने केला. स्पर्शवाळां कां छे ? [उ०] हे गौतम ! पांच वर्णवाळां, पांच रसवाळां, बे गंधवाळां अने आठ स्पर्शवाळां कह्यां छे. अने जीवो पोते वर्ण, गंध, रस अने स्पर्श रहित छे.
१९. [प्र० ] हे भगवन् ! शुंते [ उत्पलना ] जीवो उच्छ्रासक ( श्वास लेनारा ) छे, निःश्वासक (श्वास मूकनारा) के के अनुनिःश्वासक (श्वास नदि लेनारा अने महि मूकनारा) होप के [४०] हे गीतम ! १ कोई एक कछे, २ कोई एक निःसक छे अने ३ कोई एक अनुच्छासकनिः श्रासक पण छे. 8 अपना अनेक जीवो उच्छासक छे, ५ अनेक निःश्वासक छे, अने ६ अनेक अनुच्छुक निःश्वासक पंण . १-४ अथवा एक उच्छ्रासक, अने एक निःश्वासक छे, अने एक अनुष्ठासक - निःश्रासक के १-४ अपना एक निःश्वासक अने एक अनुहा- निःश्वासक के एक निःश्वासक अने एक अनुच्छासकनिःश्वासक छे. ए प्रमाणे आठ भांगा करवा. ए सर्वे महीने उन्नीश
२०. [प्र० ] हे भगवन् ! शुं ते [ उत्पलना ] जीवो आहारक छे के अनाहारक छे ! [उ०] हे गौतम ! तेओ सघळा अनाहारक नयी, पण एक आहारक छे, अथवा एक अनाहारक छे. इयादि आठ भांगा अहीं कहेना.
१९. * एक अने अनेकना एकत्व योगे छ भांगा, द्विकयोगे बार भांगा, अने त्रिकयोगे आठ भांगा थाय छे. तेमां एकत्व योगे छ मांगा कहेला छे. द्विकयोगे बार भांगा आ प्रमाणे
१ – एक १- अनेक
त्रिकयोगे आठ भांगा थाय छे, ते आ प्रमाणे
उ.
१.
१.
१.
1.
२.
१.
उ.नि.
9-9
१-२
२
उ. अनु. १-१ १ – १
नि.
१.
१.
1
२.
१.
1.
२. २.
वधा मळीने २६ भांगा थाय छे.
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अनु.
१.
२.
1.
२.
१-४ अथवा एक उच्छासक १-८ अथवा एक उच्छासक, भांगा पाय छे.
ܟ ܘ ܦ ܩ
नि. अनु.
IIII
12
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