Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust

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Page 264
________________ महावकनुं पाणिप्रवण. प्रीतिदान. श्रीरायचन्द्र - जिनागमसंप्रद्दे शतक ११. उद्देशक ११. ३१. तप णं तं महब्बलं कुमारं अम्मा-पियरो अन्नया कया वि सोभणंसि तिहि करण - दिवस नक्खत्त-मुडुत्तंसि पदार्थ कपबलिकम्मं कयफोउय- मंगलपायच्छित्तं सवालंकारविभूसियं पमक्सणगहाण गीय- पाय पसाइण-गतिलग पं कणअविद्यववहुउवणीयं मंगलसुजंपिएहि य घरको उय मंगलोवयारकयसंतिकम्मं सरिसयाणं सरितयाणं सरिक्षयाणं सरिसलावक्ष-रूव- जोधणगुणोववेयाणं विणीयाणं कयकोउय- मंगलपायच्छित्ताणं सरिसएहिं रायकुलेर्हितो आणिल्लियाणं अट्टहं रायवरकनाणं पगदिवसेणं पाणि गिण्हाविंसु । २४४ ३२. तरणं तस्स महाबलरस कुमारस्स अम्मा- पियरो अयमेवारुवं पीइदाणं दलयंति से जदा अहिरनकोडीयो, तं अट्ठ सुवनकोडीओ, अट्ठ मउडे मउडप्पवरे, अट्ठ कुंडलजुए कुंडलजुयप्पवरे, अट्ठ हारे हारप्पवरे, अटू अद्धहारे अद्धहारण्य वर, अट्ठ पगावलीओ गावलिप्यवराओ एवं मुसावलीओ एवं कणगावलीओ, एवं रचणावलीओ, अट्ठ फडगजोद कडगजोयप्पवरे, एवं तुडियजोए, अट्ठ खोमजुयलाई खोमजुयलप्पवराई, एवं वडगजुयलाई, एवं पट्टजुयलाई, एवं दुगुल्लजुयलाई, अट्ट सिरीओ, अट्ठ हिरीओ, एवं धिईओ, कितीओ, बुद्धीओ, लच्छीओ, अट्ठ नंदाई, अट्ठ भद्दाई, अट्ठ तले तलप्पवरे, सङ्घरयणामप, नियगवरभवणकेऊ अड झर झयप्यपरे अ वये वयप्यवरे, दसगोसाद रिसएनं वपर्ण, अट्ट नाडगाई नाडगप्पवराई बत्तीसवणं नादरणं, अट्ठ आसे आसप्यवरे, सरवणामए, सिरिधरपडिरुवर, अट्ट हत्थी हरियण्यवरे, खारपणाम सिरिघरपरूिवए, अट्ट जाणाई जाणप्पवराई, अट्ठ जुगाई जुगप्पवराई, एवं सिबियाओ एवं संदमाणीओ, एवं गिल्लीओ, बिल्लीओ, अट्ट विषडजाणारं वियडजाणण्यवराई, अट्ठ रहे पारिजाणिय, भट्ट रहे संगामिए, अट्ठ आसे आसण्यवरे, भट्ट दावी इत्थिष्यवरे, अट्ट गाने गामप्यवरे, दसकुलसाइरिसपणं गामेणं, भट्ट दासे दासप्यवरे, एवं चेव दासीओ, एवं किंकरे एवं कंचुरजे, एवं वरिसधरे, एवं महत्तरए, अट्ठ सोवन्निए ओलंबणदीवे, अट्ठ रुप्पामर ओलंबणदीवे, अट्ठ सुवन्नरुप्पामए ओलंयणदीवे, अट्ट सोचनिय उपचणदीवे, अड्ड पंजरदीये, एवं चेव तिनि वि, अट्ट सोचनिय थाले, अट्ठ रूप्यमय धाले, अट्ट सुचनरूप्पम थाले, अट्ठ सोवन्नियाओ पत्तीओ ३, अट्ठ सोवन्नियाई थासयाई ३, अट्ठ सोवन्नियाई मलगाई ३, अट्ठ सोवभियाओ तलियाओ ३, अट्ठ सोवन्नियाओ कावइआओ ३, अट्ठ सोवन्निए अवण्डर ३, अट्ठ सोवन्नियाओ अवयक्काओ ३, अट्ठ सोवणि पायपीटर ३, अट्ट सोनियाओ भिखियाओं ३ अट्ट सोबधिया करोडियाओं ३, अटु सोचनिय पांके ३, ३१. स्यार पछी बीजा कोई एक दिवसे शुभ तिथि, करण, दिवस, नक्षत्र अने मुहूर्तमां जेणे ज्ञान, बलिकर्म-पूजा, रक्षा आदि कौतुक अने मंगलरूप प्रायश्चित्त कर्तुं छे एवा महाबल कुमारने सर्व अलंकारथी विभूषित करी अने सधवा स्त्रीओए करेला अभ्यंजनविलेपन, स्नान, गीत, वादित्र, मंडन, आठ अंगमां तिलक अने कंकण पहेरावी मंगल अने आशीर्वादपूर्वक उत्तम रक्षा वगेरे कौतुकरूप अने सरसव वगैरे मंगलरूप उपचार वडे शांतिकर्म करी, योग्य, समानत्वचावाळी, समान उमरवाळी, समान लावण्य, रूप, यौवन अने गुणोपी युक्त, विनीत, जेणे कौतुक अने मंगलरूप प्रायश्चित्त करेलं हे एवी, समान राजकुठची आली एवी, उत्तम, राजानी आठ श्रेष्ठ कन्याओनुं एक दिवसे पाणिग्रहण करायुं. ३२. प्यार पछी ते महाबल कुमारना माता पिता एवा प्रकारनुं आ प्रीतिदान आपे छे, ते आ प्रमाणे आठ कोटि हिरण्य, आठ कोड सोनैया, मुकुटोमा उत्तम एवा आठ मुकुट, कुंडगड उत्तम एवी आठ कुंडलनी जोडी, हारोगां उत्तम एवा आठ हार, अर्थहारमां श्रेष्ठ एवा आठ अर्धहार, एकसरा हारमा उत्तम एवा आठ एकसरा हार, एज प्रमाणे मुक्तावलीओ, कनकावलीओ अने रत्नावलीओ जाणवी; कडा युगलमां उत्तम एवा आठ कहानी जोडी, ए प्रमाणे तुडय बाजुबंधनी जोडी, रेशमी वस्त्र युगलमां उत्तम एवा आठ रेशमी बननी जोडी, ए प्रमाणे सूतराउ वस्त्रनी जोडीओमां उत्तम एवी आठ सूतराउ वस्त्रनी जोडीओ, ए प्रमाणे टसरनी जोडीओ, पट्टयुगलो, दुकूलयुगलो, आठ श्री, आठ, एप्रमाणे भी, कीर्ति, बुद्धि, अने लक्ष्मी देवीओनी प्रतिमा जागवी. आठ नंदो, आठ महो, ताडमां उत्तम एवा आठ तालवृक्ष सबै रत्नमय जाणवा. पोताना भवनना केतु - चिह्नरूप ध्वजमां उत्तम एवा आठ ध्वजो, दस हजार गायोनुं एक व्रज- गोकुल थाय छे, तेवा गोकुलमां उत्तम एवा आठ गोकुलो, नाटकोमा उत्तम अने बत्रीश माणसोथी भजवी शकाय एवा आठ नाटको, घोडाओमां उत्तम एवा आठ घोडा, आ बधुं रत्नमय जाणवु. भांडागार समान हाथीओमां उत्तम एवा आठ रत्नमय हाथीओ, भांडागार समान सर्वरत्नमय यानोमां श्रेष्ठ एवा आठ यानो, "युग्यमां उत्तम आठ युग्यो (अमुक जातना वाहनो), ए प्रमाणे शिबिका, स्यदंमानिका, ए प्रमाणे गिल्ली, ( हाथीनी उपरनी अंबाडी ), थिओ ( घोडाना आडा पलाणो ), विकट यानोमा ( उघाडा वाहनोमां ) प्रधान एवा आठ विकट यानो, आठ पारियानिक ( क्रीडाना ) रथो, संग्रामने योग्य एवा आठ रथो अधोमां उत्तम एवा आठ अथ हाथीओमा उत्तम एवा आठ हाथीओ, ग्रामोमां उत्तम एवा आठ गामो, जेमां दस हजार कुलो रहे ते एक गाम कहेवाय छे. दासोमा उत्तम एवा आठ दासो, एज प्रमाणे दासीओ, ए प्रमाणे किंकरो, ए प्रमाणे कंचुकिओ र प्रमाणे वर्षधरो, (अंतःपुरना रक्षक खोजाओ ) ए प्रमाणे महत्तरको (वडाओ ), आठ सोनाना, आठ रुपाना तथा आठ सोना - रुपाना अवलंबन Jain Education International ३२ * युग्य- एक जातनुं वाहन, जेने गोलदेशमां जम्पान कहे छे- टीका. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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