Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
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शतक ९. - उद्देशक ३२.
भगवत्सुधर्मस्वामिप्रणीत भगवतीसूत्र.
१५१
सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा; अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे तमाए दो असत्तमा होज्जा; अहवा एगे रयणप्पभाए जाव दो तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा । एवं संचारेयवं, जाव अहवा दो रयणप्पभापः एगे सक्करप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा ।
१९. [प्र०] नव भंते! नेरतिया नेरइयपवेसणपणं पविसमाणा किं० पुच्छा । [उ०] गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा; जाव आहेससमा वा होना अहवा एगे रयणप्पभाए अटु सकरण्यभार होला । एवं दुयासंजोगो, जाव सतगसंजोगो व जहा अहं भणियं सहा नवणं पि भाणियां नवरं एफेको अम्भदिओ संचारेयशो, सेसं तं चैव पच्छिमो आलावगोचातिनि रयणप्यभार एगे सारण्यभार पगे वालुवप्यनाए जाब ए असत्तमाए होजा ।
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२० [अ०] इस भंते ! नेरइया नेरइयपयेसणपणं पविसमाणा० पुच्छा। [४०] गंगेया ! रयणप्पभाए था होला; जाव असत्तमाए वा होजा । अहवा एगे रयणप्पभाए नव सकरप्पभाए होज्जा । एवं दुयासंजोगो जाव सत्तसंजोगो य जहा
* पंचसंयोग अने पिट्संयोग कह्यो रोम आठ नैरविकोनो पण कहेवो. परन्तु विशेष ए के एक एक नैरपिकनो अधिक संचार करवो बाकी बर्ष छसंयोग सुधी पूर्व प्रमाणे जाण. [ छेडो विकल्प ] अथवा प्रण शर्कराप्रभागां एक यालुकाप्रभामां यावत् एक अधः सप्तम नरकमां होय.
१ †अथवा एक रत्नप्रभामां यावत् एक तमामां अने बे अधः सप्तम पृथिवीमां होय. २ अथवा एक रत्नप्रभामां यावत् बे तमामां सप्तसंयोगी विकल्पअने एक अधःसप्तम पृथिवीमां होय. ए प्रमाणे सर्वत्र संचार करवो. यावत् ७ अथवा बे रत्नप्रभामां एक शर्कराप्रभामां यावद् एकं ..अधः सप्तम पृथिवीमां होय. [ ए प्रमाणे ७, १४७, ७३५, १२२५, ७३५, १४७ अने ७. ए बधा मळीने आठ जीवने आश्रयी ३००३ विकल्पो थाय छे.]
१९. [प्र० ] हे भगवन् ! नव नैरविको नैरविकावेशनकडे प्रवेश करता शुं रत्नप्रभामां होय इत्यादि प्रश्न. [उ० ] हे गांगेय ! ते नव नैरयिको १ रत्नप्रभामां होय, अने ए प्रमाणे यावद् ७ अधः सप्तम पृथिवीमां पण होय.$
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अथवा एक रत्नप्रभामा अने आठ शर्कराप्रभामां पण होय' इत्यादि आठ नैरविकोनो जैम द्विक्संयोग [[त्रिकसंयोग, चतुष्क संयोग, पंचकसंयोग, संयोग, ] यावत् 88सप्तकसंयोग. को तेम नव नैरयिकोनो पण कहेयो. परन्तु विशेष ए छे के एक एक नैरयिकनो अधिक संचार करवो. बाकी बधुं पूर्व प्रमाणे जाणवुं तेनो छेल्लो भांगो - अथवा त्रण रत्नप्रभामां एक शर्कराप्रभामां एक वालुकाप्रभाम यावत् एक अथः सप्तम नरकमां होय.
२०. [प्र०] हे भगवन् ! दश नैरयिको नैरयिकप्रवेशनकवडे प्रवेश करता शुं १ रत्नप्रभामां होय के यावद् ७ अधः सप्तम पृथिवीमां होय ! [उ०] हे गांगेय ! ते दश नैरयिको १ रत्नप्रभामां पण होय, अने ए प्रमाणे यावद् ७ अधः सप्तम पृथिवीमां पण होय.$$
१८. आठ नैरथिकोना १-१-१-१-५ इत्यादि पंचसंयोगी ३५ विकल्पो थाय छे, तेने सात नरकना पंचसंयोगी २१ भांगानी साथै गुणतां ७३५ विकल्पो थाय.
† आठ संख्यानां छसंयोगी १-१-१-१-१-३ इत्यादि २१ विकल्पो थाय छे, तेने पूर्वे कला ( पृ. १४९.) सात नरकना छसंयोगी सात भांगा साथै गुणतां १४७ विकरूपो थाय.
† आठ संख्याना सात संयोगी सात विकल्प थाय छे, तेने सात नरकना सात संयोगी एक विकल्पनी साथै गुणतां सात भंग थाय. एप्रमाणे ७-१४७ -७३५–१२२५-७३५-१४७-७ सर्व मळीने आठ नैरयिकोना सात नरकने आश्रयी ३००३ भांगा थाय छे.
१९. $ नव नैरयिकोना आश्रयी एक संयोगी सात विकल्पो थया.
| नव संख्याना द्विकसंयोगी आठ विकल्पो थाय, तेने सात नरकना द्विकसंयोगी एकवीश विकल्पनी साधे गुणतां १६८ भांगा थाय छे.
९ नव संख्याना १-१-७ इत्यादि त्रिकयोगी २८ विकल्पो थाय, तेने सात नरकना त्रिकसंयोगी पांत्रीश विकल्पनी साथे गुणतां ९८० भांगा थाय छे. ** 'नव संख्याना चतुष्कयोगी १-१-१-६ इत्यादि ५६ विकल्प थाय, तेने सात नरकना चतुःसंयोगी ३५ विकल्प साथै गुणता १९६० भांगा थाय छे. +f नव संख्याना १-१-१-१-५ इत्यादि पंचयोगी ७० विकल्पो थाय, तेने सात नरकना पंचसंयोगी एकवीश भांगा साथे गुणतां १४७० धाम
# नव संख्याना षट्योगी १-१-१-१-१-४ इत्यादि ५६ विकल्पो थाय, तेने सात नरकना छसंयोगी सात विकल्पनी साथे गुणत ३९२ भांगा थाय छे.
$$ नव संख्याना सप्तयोगी १-१-१-१-१-१-३ इत्यादि २८ विकल्पो थाय, तेने सात नरकना सप्तसंयोगी एक विकल्पनी साथे गुणत २८ भांगा थाय छे. ए प्रमाणे ७ १६८- ९८०-१९६० - १४००-३९२-२८ मळीने पांच हजारने पांच विकल्पो थाय छे.
$$ २०. दश नारकना एक योगी सात विकल्प थाय.
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विकल्पो.
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नव नैरविको.
द्विकसंयोगी विकल्पो.
दश नैरयिको.
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