Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
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शतक १०. प्रदेश १.
भगवत् धर्मस्वामिप्रणीत भगवती सूत्र.
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[०] यासि भंते देख दिसाणं कति नामभेजा पत्ता? [उ०] गोयमा ! दस नामपेक्षा पण्णत्ता, सं अदा-१ हंदा २ अषी ३ जमा य नेरई वारुणी व वाया सोमा ईसानी व विमला व तमा व योद्धा ।
६. [अ०] [ईदा भंते! दिसा कि १ जीवा, २ जीवदेसा, ३ जीवपरसा, ४ अजीया ५ बजीवदेखा, ६ अजीवदेसा ? [30] गोयमा ! जीवा वि, तं चैव जाव अजीवपपसा वि । जे जीवा ते णियमा एर्गिदिया, बेइंदिया, जाव पंचिदिया, अणिदिया । जे जीवदेसा ते नियमा एर्गिदियदेसा, जाव अर्णिदियदेसा । जे जीवपपसा ते एगिंदियपरसा बेइंदियपपसा, जामणिदिपसा जे भजीचा से दुबिहा पत्ता, संजदारूविभजीया व अरूविभजीवा व जे कविभजीवा से चढविदा पत्ता जहा संधा, संघदेसा, संधपरसा, परमाणुपोग्गला जे अरूविभजीपा ते सत्तविदा पन्नसा तं जहा १ नोधम्मतं त्थिका धम्मत्थिकायस्त देसे, २ धम्मत्थिकायस्स पपसा, ३ नोअधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसे, ४ अधम्मत्थिकायस्थ परसा, ५ नोआगासत्धिकार आगासत्विकायस्स देखे, ६ भागासत्धिकाचस्स परसा, ७ भद्धासमए ।
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७. [ प्र० ] अग्गेयी णं भंते! दिसा किं जीवा, जीवदेसा, जीवपएसा - पुच्छा । [ उ०] गोयमा ! १ णोजीवा जीवदेसा वि, २ जीवपयसा वि; १ अजीवा वि, २ अजीवदेसा वि, ३ अजीवपएसा वि । जे जीवदेसा ते नियमा एर्गिदियदेसा । १ अहवा एगिंदियदेसाय बेइंदियस्स देसे, २ अहवा ऐगिंदियदेसा य बेइंदियस्स देसा य, ३ अहवा एैर्गिदियदेसा य बेदियाण व देखा १ अहवा पगिदियदेसा य तेईदियस्स देखे अ पर्व चेय तियभंगो भाणियो एवं जाय अणदिवाणं तियभंगो । जे जीवपरसा ते नियमा एगिंदियपपसा अहवा एर्गिदियपपसा य बेइंदियस्स परसा, अहवा एर्गिदियपरसा य
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५. [ प्र० ] हे भगवन् ! ए दश दिशाओना केटला नाम कयां छे ! [उ०] हे गौतम! दश नाम कह्यां छे. ते आ प्रमाणे- १ * ऐन्द्री दिशा मोना दश ( पूर्व ), २ आग्नेयी (अंग्नि कोण), ३ याम्या (दक्षिण), ४ नैर्ऋती (नैर्ऋतकोण), ५ वारुणी (पश्चिम), ६ वायव्या, ७ सोम्या ( उत्तर ), ८ ऐशानी ( ईशान कोण ), ९ विमला ( उर्ध्व दिशा ), अने १० तंभा ( अधो दिशा ). ए दिशाना नामो अनुक्रमे जाणवां.
नाम.
६. [ प्र० ] हे भगवन् ! ऐन्द्री (पूर्व) दिशा शुं १ जीवरूप छे, २ जीवना देशरूप छे के जीवना प्रदेशरूप छे ? अथवा १ अजीव रूप छे, २ अजीवना देशरूप छे के ३ अजीवना प्रदेशरूप छे ! [उ०] हे गौतम । ऐन्द्री दिशा जीवरूप छे- इत्यादि पूर्व प्रमाणे यावत् अजीवप्रदेशरूप पण छे. तेमां जे जीवो छे ते अवश्य एकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय, यावत् पंचेन्द्रिय, तथा अनिन्द्रिय (सिद्धो ) छे. जे जीवना देशो छे ते अवश्य एकेन्द्रिय जीवना देशो छे, यावद् अनिद्रिय मुक्तजीवना देशो छे. जे जीपप्रदेशो छे ते अवश्य एकेन्द्रिय जीवना प्रदेशो के, वेदन्द्रियजीवना प्रदेशो के बाप अनिन्द्रिय (मुक्त) जीवना प्रदेशो छे यही जे अजीबो छे से वे प्रकारना कया छे, ते आ प्रमाणे- एक रूपअजीव अने अरूपिअजीव तेमां जे रूपिअजीयो छे ते चार प्रकारना कहाा छे, ते आ प्रमाणे-१ स्कंध, २ स्कंध देश, ३ कंपप्र देश अने ४ परमाणु पुल तथा जे अरूपिअजीयो छे ते सात प्रकारना कह्या छे से आ प्रमाणे १ नोधर्मास्तिकायरूप धर्मास्तिकायनो देश, २ धर्मास्तिकायना प्रदेशो, ३ नोअधर्मास्तिकायरूपं अधर्मास्तिकायनो देश, ४ अधर्मास्तिकायना प्रदेशो, ५ नो आकाशास्तिकायरूप आकाशास्तिकायनो देश, ६ आकाशास्तिकायना प्रदेशो, अने ७ अद्धासमय (काशी).
७. [प्र०] हे भगवन् प्रेची दिशा (अफ्रिकोण) १ जीवरूप छे, २ जीवदेशरूप छे के ३ जीवप्रदेशरूप - इयादि प्रश्न करवो. [30] हे गौतम! १ मोजीवरूप जीवना देश अने २ जीवना प्रदेशरूप छे, ३ अजीवरूप छे, ४ अजीवना देशरूप के अने ५ अजीवना प्रदेशरूप पण छे. तेमां जे जीवना देशो छे ते अवश्य एकेन्द्रिय जीवना देशो छे, १ अथवा एकेन्द्रियोना देशो अने बेन्द्रियजीवनो देश छे, २ अथवा एकेन्द्रियोना देशो अने बेइन्द्रियना देशो छे; ३ अथवा एकेन्द्रियोना देशो अने वेइन्द्रियोना देशो छे. १ अपना एकेन्द्रियोना देशो अने त्रीन्द्रियनो देश छे इत्यादि पूर्व प्रमाणे अहं त्रण विकल्पो जाणवा. ए प्रमाणे यावद् अनिदिय सुचीत्रण विकल्पो मांगा कद्देवा तेमां जे जीवना प्रदेशो छे. ते अवश्य एकेन्द्रियोना प्रदेशो के १ अथवा एकेन्द्रियोना प्रदेशो अने बेन्द्रियना प्रदेशो छे, २ अथवा एकेन्द्रियोना प्रदेशो अने बेइन्द्रियोना प्रदेश छे. २ प्रमाणे सर्वत्र प्रथम मांगा सिवाय वे मांगा जागवा, ए प्रमाणे पापद्
१ दस ग । २ बोधन्या ग
५. * इन्द्र तेनो खामी छे, माटे ते गेरे होना निनामो छ
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३-गिदियस्त देखा क।
४-देसा, घ । ५- गिंदियरस दे - घ ।
ऐन्द्री दिशा कहेवाय छे, ए प्रमाणे अमि, यम, नैर्ऋति, वरुण, वायु, सोम भने ईशान देवो खामी होवाथी आमेकी होमाची अर्थ दिशाने विमला भने अन्धकार होना यो दिशानेबा
६. प्राचीदिशा अखंड धर्माकारूनी, परन्तु देव देश भने असंख्यात प्रदेशका छे, माठे से धर्माविका . ए प्रमाने से मोरूपादिप
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७. आयी दिशा जीवस्वरूप नथी, कारणके दरेक विदिशाओनो व्यास एक प्रदेशरूप छ, अने एक प्रदेशमा जीवनो समावेश भतो नधी, केमके तेनी अवगाहना असंख्य प्रदेशात्मक छे. टीकाकार.
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ऐन्द्री दिशा वीवरूप के इत्यादि.
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