Book Title: Vipaksutram
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
View full book text
________________
मामीसवेस उववजिहिति, तत्थ णं कालं किचा दोच्चाए पुढवीए उक्कोसेणं तिन्नि सागरोवमाई. मेणं ततो अणंतरं उच्चहित्ता पक्खीसु उववजिहिति, तत्थवि कालं किच्चा तचाए पुढवीए सत्त सागरोवमाई, से गं ततो सीहेसु य, तयाणंतरं चोत्थीए उरगो पंचमी० इत्थी छट्ठी० मणुआ० अहे सत्तमाए, ततोऽणंतरं उव्वहिता से जाइं इमाइं जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं मच्छकच्छभगाहमगरसुसुमारादीणं अद्धतेरस जातिकुलकोडिजोणिपमुहसयसहस्साई तत्थ णं एगमेगंसि जोणीविहाणंसि अणेगसतसहस्सखुत्तो उहाइत्ता २ तत्थेव भुजो २ पचायाइस्सति, से णं ततो उव्वहित्ता एवं चउपएसु उरपरिसप्पेसु भुयपरिसप्पेस खहयरेसु चउरिदिएसु तेइंदिएसु बेइंदिएसु वणप्फइएसु कड्डयरुक्खेसु कडुयदुद्धिएम वाउ० तेऊ. आऊ. पुढवी अणेगसयसहस्सखुत्तो, से णं ततो अणंतरं उव्वहित्ता सुपइट्ठपुरे नगरे गोणत्ताए पञ्चायाहिति, से णं तत्थ उम्मुक्त जाव बालभावे अन्नया कयाइं पढमपाउसंसि गंगाए महानईए खलीयमट्टियं 8 खणमाणे तडीए पेल्लिए समाणे कालगए तत्थेव सुपइढे पुरे नगरे सेहिकुलंसि पुमत्ताए पचायाइस्संति, से
१'जाइकुलकोडीजोणिप्पमुहसयसहस्साईति जाती-पञ्चेन्द्रियजातौ कुलकोटीनां योनिप्रमुखानि-योनिद्वारकाणि यो| निशतसहस्राणि तानि तथा। २ 'जोणीविहाणंसित्ति योनिभेदे। ३ 'खलीणमट्टिय'त्ति खलीना-आकाशस्थां छिन्नतटोपरिवर्तिनी मृत्तिकामिति ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128