Book Title: Vipaksutram
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 72
________________ विपाके हिए होत्था रिउब्वेय ४ जाव अथव्वणकुसले आवि होत्या, तते णं से महेसरदत्ते पुरोहिए जियसत्तुस्स रन्नो ४५ बृहस्पश्रुत०१ रजबलविवद्धणअट्ठआए कल्लाकल्लिं एगमेगं माहणदारयं एगमेगं खत्तियदारयं एगमेगं वइस्सदारयं एग- ति.महेश्व मेगं सुद्ददारगं गिण्हावेति रतेसिं जीवंतगाणं चेव हियउंडए गिण्हावेति जियसत्तुस्स रन्नो संतिहोमं करेति, रभवः ॥६८॥ तए णं से महेसरदत्ते पुरोहिए अहमीचोद्दसीसु दुवे माहण १ खत्तिय २ बेस ३ मुद्दे४ चोण्हं मासाणं च सू० २१ दूत्तारि २ छपहं मासाणं अह २ संवच्छरस्स सोलस २ जाहे जाहेऽविय णं जियसतू राया परबलेणं अभिजुंजइ साहे ताहेविय णं से महेसरदत्ते पुरोहिए अट्ठसयं माहणदारगाणं अट्ठसयं खसियदारगाणं अढसयं सुद्ददारगाणं अट्ठसयं वेसदारगाणं पुरिसे गिण्हावेति गिण्हावेत्ता तेसिं जीवंताणं चेव हियडीओ गिहाबेति २ जियसत्तुस्स रणो संतिहोमं करेति, तते णं से परबले खिप्पामेव विद्धसिजइ वा पडिसेहिलइ वा (सू०२४)सते णं से महेसरदत्ते पुरोहिए एयकम्मे सुबहुं पावकम्मं समजिणिसा तीसं वाससयं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किचा पंचमाए पुढवीए उक्कोसेणं सत्तरससागरोवमडिएएनरगे उवयन्ने, सेणं सतो अण्णंतरं उन्वद्वित्ता इद्देव कोसंबीए नयरीए सोमदत्तस्स पुरोहियस्स वसुदत्ताए पुत्तत्ताए उववन्ने, तते णं तस्स है Restartettent CASSAGACर स्कार १ 'रिउब्वेय'त्ति एतेनेदं दृश्य-रिउब्वेयजजुब्वेयसामवेयअथव्वणवेयकुसले ति दृश्यं व्यक्तं च । २ 'हिययउंडीओ'त्ति हृदयमांसपिण्डान् । dain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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