Book Title: Vipaksutram
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
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नगरे होत्था रिद्ध०, तत्थ णं सीहपुरे नयरे सीहरहे नामं राया होत्था, तस्स णं सीहरहस्स रन्नो दुजोहणे नामे चारगपालए होत्था अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालगस्स इमेयारूवे चारगभंडे होत्था बहवे अयकुंडीओ अप्पेगइयाओ तंबभरियाओ अप्पेगइयाओ तउयभरियाओ अप्पेग० सीसगभरियाओ अप्पेग० कलकलभरियाओ अप्पेग खारतेल्लभरियाओ अगणिकायंसि अद्दहिया चिट्ठति, तस्स णं दुजोहण. चारग० बहवे उहियाओ आसमुत्तभरियाओ अप्पेग० हत्थिमुत्तभरिआओ अप्पेग. गोमुत्तभरियाओ अप्पेग० महिसमुत्तभरियाओ अप्पेग उमुत्तभरियाओ अप्पेग. अयमुत्तभरियाओ अप्पेग० एलमुत्तभरियाओ बहुपडिपुन्नाओ चिट्ठति। तस्स णं दुजोहण चारगपालगस्स. बहवे हत्थुडुयाण य पायंदुयाण य हडीण य नियलाण य संकलाण य पुंजा निगरा य सन्निक्खित्ता चिट्ठति, तस्स णं दुजोहण चारग० स्स बहवे वेणुलयाण य वेत्तलयाण य चिञ्चालयाण य छियाणं कसाण य वायरासीण य पुंजा गिरा
भारआओ अप्पेगा
पुन्नाओ चिट्ठतिमुत्तभरियाओ
| १'चारगपाले'त्ति गुप्तिपालकः । २ 'चारगभंडे'त्ति गुप्युपकरणम् । ३ 'हत्धुंडुयाण'त्ति अण्डूनि-काष्ठादिमयबन्धनविशेषाः, & एवं पादान्दुकान्यपि, 'हडीण यत्ति हडयः-खोटकाः 'पुंज'त्ति सशिखरो राशिः 'निगर'त्ति राशिमात्रम् । ४ 'वेणुलयाण यत्ति स्थूलवंशलतानां 'वेत्तलयाण यत्ति जलजवंशलतानां 'चिंच'त्ति चिञ्चालतानाम् अम्बिलिकाकम्बानां 'छियाण'त्ति श्लक्ष्णचर्मकशानां कसाण यत्ति चर्मयष्टिकानां 'वायरासीणं'ति वल्करश्मयो बटादित्वगमयसिंदुराणि ताडनप्रयोजनानि तेषां पुजास्तिष्ठन्तीति योगः ।
न
अनु.१४
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