Book Title: Vipaksutram
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
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साई बहयाई अयमंसाई जाव महिसमसाई तवएसु य कवल्लीसु य कंदूएसु य भजणेसु य इंगालेस यतलंति य भजेंति य सोल्लयंति य २ ततो रायमग्गंसि वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति, अप्पणाविय णं से छन्नियए छागलीए तेहिं बहुविह० मंसेहिं जाव महिसमंसेहिं सोल्लेहि यतलेहि य भज्जेहि य सुरं च ६आसाएमाणे विहरति, तते णं से छन्नीए य छगलीए एयकम्मे प०वि० स०सुबहुं पावकम्मं कलिकलुसं समजिणित्ता सत्तवाससयाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा चोत्थीए पुढवीए उक्कोसेणं दससागरोवमठिइएसु नेरइयत्ताए उववन्ने (सू०२१) तते णं तस्स सुभद्दसत्यवाहस्स भद्दा भारिया जाव निंदुया यावि होत्था, जाया जाया दारगा विनिहायमावजंति, तते णं से छन्नीए छागले चोत्थीए पुढवीए अणंतरं उव्वहित्ता इहेव साहं|जणीए नयरीए सुभद्दस्स सत्थवाहस्स भद्दाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववन्ने, तते णं सा भद्दा सत्थवाही अन्नया कयाइं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं दारगं पयाया, तए णं तं दारगं अम्मापियरो जायमेत्तं चेव सगडस्स हेटातो ठावेंति दोचंपि गिण्हावेंति अणुपुव्वेणं सारक्खंति संगोवेति संवड्डेति जहा उज्झियए जाव जम्हाणं अम्हं इमे दारए जायमेत्ते चेव सगडस्स हेट्ठा ठाविए तम्हा णं होऊ णं अम्हं एस दारए सगडे नामेणं, सेसं जहा उज्झियते, सुभद्दे लवणसमुद्दे कालगते मायावि कालगया, सेवि सयाओ गिहाओ नि
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१ 'सुभद्दे लवणे काल'त्ति अयमर्थः-'सुभद्दे सत्यवाहे लवणसमुद्दे कालधम्मुणा संजुत्ते यावि होत्थ'त्ति ।
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