Book Title: Vipaksutram
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 66
________________ विपाके श्रुत०१ ४ शकटा. छणिकभव: सू०१८ CHARACARROS साहंजणीए नयरीए सुदंसणाणामं गणिया होत्था वन्नओ, तत्थ णं साहंजणीए नयरीए सुभद्दे नाम सत्थ|वाहे परिवसइ अड्डे०, तस्स णं सुभद्दस्स सत्थवाहस्स भद्दानामं भारिया होत्था अहीण, तस्स णं सुभ-13 इसत्थ० पुत्ते भद्दाए भारियाए अत्तए सगडे नामं दारए होत्था अहीण, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरणं परिसा राया य निग्गए धम्मो कहिओ परिसा पडिगया, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स० जेठे अंतेवासी जाव रायमग्गमोगाढे तत्थ णं हत्थी आसे पुरिसे तेसिं च णं पुरिसाणं मज्झगए पासति एगं सइत्थीयं पुरिसं अवउडगबंधणं उक्खित्त जाव घोसेणं चिंता तहेव जाव भगवं वागरेति, एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे छगलपुरे नाम गरे होत्था, तत्थ सीहगिरिनामं राया होत्था महया, तत्थ णं छगलपुरे णगरे छणिए नामं छगलीए परिवसति अढे० अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे,तस्स णं छणियस्स छगलियस्स बहवे अयाण य एलाण य रोज्झाण य वसभाण य ससयाण य सूयराण य पसयाण य सिंघाण य हरिणाण य मयूराण य महिसाण य सतबद्धाण य सहस्सबद्धाण य जूहाणि वाडगंसि सन्निरुद्धाई चिट्ठति, अन्ने य तत्थ बहवे पुरिसा दिन्नभइभत्तवेयणा बहवे य अए जाव महिसे य सारक्खमाणा संगोवेमाणा चिट्ठति, अण्णे य से बहवे पुरिसा अयाण य जाव गिहंसि निरुद्धा चिटुंति, अन्ने य से बहवे पुरिसा दिनभइ बहवे सयए य सहस्से य जीवियाओ ववरोविंति मंसाईकप्पिणीकप्पियाई करेंति छणीयस्स छगलीयस्स उवणेति, अन्ने य से बहवे पुरिसा % 25A Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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