Book Title: Vipaksutram
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
View full book text
________________
XHAUSSURES
२त्ता अद्विमुट्ठिजाणुकोप्परपहारसंभग्गमहितगत्तं करेति करेत्ता अवउडगबंधणं करेति २त्ता एएणं विहाणणं वज्झं आणावेति, एवं खलु गोयमा! उज्झियते दारए पुरापोराणाणं कम्माणं जाव पच्चणुभवमाणे विहरति । (सू०१३) उज्झियए णं भंते! दारए इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति? कहिं उववजिहिति?, गोतमा! उज्झियते दारए पणवीसं वासाइं परमाउयं पालइत्ता अजेव तिभागावसेसे दिवसे सूलीभिन्ने कए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए रइयत्ताए उववजिहिति, से णं ततो अणंतरं उध्वद्वित्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेयडगिरिपायमूले वानरकुलंसि वाणरत्ताए उववन्जिहिति, से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे तिरियभोगेसु मुच्छिते गिद्धे गढिते अज्झोववन्ने जाते जाते वानरपेल्लए वहेइ तं ऐयकम्मे [एयप्पहाणे एयविजे एयसमुदायारे] कालमासे कालं किच्चा इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इंदपुरे णगरे गणियाकुलंसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिति, तते णं तं दारयं अम्मापियरो जायमित्त वद्धेहिति नपुंसगकम्मं सिक्खावेहिंति, तते णं तस्स दारयस्स अम्मापियरो णिवत्तबारसाहस्स इमं एयारूवं णामधेनं करेंति तं०-होऊ णं पियसेणे णामं णपुंसए, तते णं से पियसेणे णपुंसए उम्मुक्कबालभावे
१ 'पुरापोराणाणं' इत्यत्र यावत्करणात् 'दुच्चिन्नाणं दुष्पडिकंताणं' इत्यादि दृश्यम् । २ 'वानरपेल्लए'त्ति वानरडिम्भान् ।। |३ 'तं एयकम्मे'त्ति तदिति-तस्मात् एतत्कर्मा, इहेदमपरं दृश्यम्-'एयप्पहाणे एयविजे एयसमुदाचारे'त्ति । ४ 'वद्धेहिंति'त्ति ४ वर्द्धितकं करिष्यतः।
CCCCCESSSSSSROCESSESSAGA
CAUSA
Jain Education Intematonal
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128