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उन पर . व्याख्यान
उनके अन्तर्गत __ कथायें
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समकित के ६७ भेद ६ यातना ६ आगार ६ भावना ६ स्थान
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- इस विभाग के ६१ व्याख्यान व ६७ कथाओं में तथा विशेषतया आरम्भ व अन्तिम के चार चार व्याख्यानों में प्रदर्शित समकित स्वरूप व भेदों का लक्ष्यपूर्वक अध्ययन करना
परम आवश्यक है । तदुपरान्त छ स्थानों में गौतमादिक गण. धर की तीन कथायें विशेषतया पढ़ने योग्य हैं जिन में बहुधा
तत्त्वज्ञान का समावेश है। सातवें व्याख्यान में जमाली की कथा तथा १९ वे व्याख्यान में निह्नव की कथा भी बहुत कुछ सारगर्भित है। कथारसिकों के लिये आठ प्रभावक के १२ व्याख्यान में आई १३ कथायें तथा काकजंघ कोकाश की कथा आदि अधिक मनोरंजनीय हैं । इस विभाग में प्रथम खंड की समाप्ति की गई है। ___ग्रन्थ की उपयोगिता के लिये ग्रन्थकारने जो जो शास्त्रों की सहायते व प्रास्ताविक श्लोक दिये हैं उन सब का अर्थ सहित इस भाषान्तर में भी समावेश किया गया है जिससे इस भाषा