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बतलाते है जिन में प्रथम ३ व्याख्यानों में समकित रोचक, कारक, दीपक तीन भेद हैं जिन पर तीन कथायें भी उद्धृत की गई है। अन्तिम व अधिक व्याख्यान विशेषतया समकित के वस्तुस्वरूप को प्रदर्शित करता है । इस ग्रन्थ का नाम " उपदेशप्रासाद" अर्थात् उपदेशों का महल हैं, जिसके २४ स्तंभ व प्रत्येक स्तंभ में १५-१५ व्याख्यान हैं। इस प्रकार समस्त २४ स्तंभों में वर्षदिनानुसार ३६० व्याख्यान व एक विशेष व्याख्यान अर्थात् ३६१ व्याख्यान हैं जिससे यह प्रयोजन है व्याख्यानदाता मुनि प्रतिदिन एक व्याख्यान के हिसाब से पूरे वर्ष तक अपना उपदेशक्रम आरंभ रख सकें। इस अपेक्षा से प्रथम विभाग के ४ स्तंभों में ६० व्याख्यानों के स्थान में ६१ व्याख्यान हो गये हैं :समकित के
उन पर उनके अन्तर्गत ६७ भेद व्याख्यान
कथाये ४ श्रद्धा ४ व्याख्यान
४ कथायें ३ लिङ्ग १० विनय ३ शुद्धि ५ दूषण ८ प्रभावक ५ भूषण ५ लक्षण
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