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( १ ) ४. मुनि श्री हजारोमल स्मृतिप्रकाशन
राजस्थान के प्रसिद्ध तपोधन मनस्वी श्री हजारीमल जी महाराज की पुण्यस्मृति में इस संस्था की स्थापना वि० सं० २०२२ में उनके गुरु भ्राता स्वामी श्री ब्रजलाल जी महाराज एवं मधुकर मुनि जी महाराज की प्रेरणा से की गई। जैन माहित्य का प्रकाशन एवं शिक्षासंस्था तथा ज्ञानशालाओं का संचालन-संरक्षण इस संस्था का मुख्य उद्देश्य है। कार्य की दिशा में संस्था उत्तरोत्तर प्रगतिशील है। अब तक विविध विषयों पर लगभग ५० महत्व पूर्ण पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। मुख्य कार्यालय :
मुनिधी हजारीमल स्मृति प्रकाशन
जैन स्थानक, पीपलिया बाजार व्यावर (राजस्थान) । ५. श्री आनन्द प्रकाशन
इस नवोदित संस्था के मुख्य प्रेरणा स्रोत आचार्य प्रवर के अन्तेवासी श्री रतन मुनि जी महाराज हैं । २५ वी महावीर निर्वाण शताब्दी वर्ष तथा आचार्य प्रवर के अमृत महोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में इसकी स्थापना वि० सं० २०३१ में हुई। संस्था का मुख्य उद्देश्य है-साहित्य द्वारा धर्म एवं संस्कृति का प्रचार करना, नैतिक जागरण, आध्यात्मिक आयोजन तथा समाज सेवा आदि शुभ प्रवृत्तियों में सहयोग देना । संस्था का प्रथम प्रकाशन यही है । __ मुख्य कार्यालय (आचार्य प्रवर की जन्म भूमि) चिंचोड़ी है।
श्री आनंद प्रकाशन, पो. चिचोड़ी (अहमदनगर, महाराष्ट्र) ६. श्री अमोल जैन ज्ञानालय
यह संस्था पूर्व भारत की प्राचीनतम जैन संस्थानों में अग्रणी व सबसे प्राचीन है । इसकी स्थापना शास्त्रोद्धारक स्वर्गीय पूज्य श्री अमोलक ऋषि जी महाराज की स्मृति में उनके प्रधान शिष्य श्री कल्याण ऋषि जी महाराज की प्रेरणा से वि० सं० १९६८ दिनांक १८.१०-४२ को हुई।
संस्था का मुख्य उद्देश्य जैन धर्म, दर्शन एवं संस्कृति तथा साहित्य का प्रचार करना है। अब तक अनेक आगम, चरित्र ग्रंथ तथा तात्विक साहित्य की छोटी मोटी ७५ पुस्तकें छप चुकी हैं । संस्था का अपना विशाल ग्रंथालय भी है । स्थायी पता इस प्रकार है
बी अमोल जैनशानालय कल्याण स्वामी रोड, धूलिया (महाराष्ट्र)