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ते आत्माओ स्वभावनी उत्तरोत्तर ऊर्वश्रेणी पामी शुद्ध चेतनभावने पामगे, आम कहेवु सप्रमाण छै. कारण अतीत काळे तेम थयु छे, वर्तमान काळे तेम थाय छ, अनागत काळे तेमज चशे. ___ कोई पण आत्मा उदयी कर्मने भोगवठा समत्वश्रेणीमां प्रवेश करी अवघ परिणामे वर्तशे, तो खचीत चेतनशुद्धि पामशे. ___ आत्मा विनयी थई, सरळ अने लघुत्वभाव पामी सदैव सत्पुरुपना चरणकमळ प्रति रह्यो, तो जे महात्मामोने नमस्कार कर्यों छे ते महात्मामोनी जे जातिनी रिद्धि छे, ते जातिनी रिद्धि संप्राप्य करी शकाय.
अनंतकाळमा का तो सत्पात्रता थई नयी अने का तो सत्पुरुष (जेमा सद्गुरुत्व, सत्संग अने सत्कथा ए रह्या छे ) मळ्या नथी, नहीं तो निश्चय छ, के मोक्ष 'हथेळीमा छ, ईषत्प्राग्भारा एटले सिद्ध-पृथ्वी पर त्यार पछी छे. एने सर्व शास्त्र पण संमत छे, (मनन करशो) अने आ कथन त्रिकाळ सिद्ध छे
ववाणिया, फाल्गुन सुद ९, १९४५