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(४८) अनय रणना आपनार एवा श्री सदगुरुदेवने
अत्यत भक्तिय नमस्कार शुद्ध आत्मस्वपने पाया है ण्या मानीपुरपोए नीचे बहा छ से छ पदने मम्या दाना शिवागना सर्वोत्कृष्ट स्पाम कहां छ प्रपम पद --
आरमा छ' जेम घटपटआदि पायों छ, तम मारमा पण छे अमुष गुण होयाने लीघे जैम घरपटमादि होवानु प्रमाण छ, सम स्वपरप्रयास पी घेत यगताना प्रत्यक्ष गुण जेने दिपे छे एयो मारमा होयान प्रमाण छ वीज पद - ___ 'आरमा निय' घटपटा पार्यो अमुए मायर्ती हे धारमा विपाळवीर पटपदि गयोग गरी पाप 0 भारमा स्वभाव परोने पदाप समये सनी चरपति माटे पोई पण गंपागो अनुमामोग्य पना नगी पोई पत रायोगी इसपी धागा प्रगट या योग्य मपी, माटे अनुमान के अगयोगो दोषाः असिनी, अमराई गयागपी वाति न हाय, सेना मोईन दिवस पर होम मही