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है जीव ! गया इच्छत हवे ? है इच्छा दुसमूर; जब इच्छाका नाग तब, मिटे अनादि भूल, ऐसी कहामे मति भई, आप माप है नाहि, आपनकुं जब भूल गये, अवर कहांसे लाई. आप आप ए गोधने, आप आप मिल जाय; आप मिलन नय वापको, "" ."
हा, नो. १-१२
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बीजा साधन बहु कर्या, करी कल्पना आप, अथवा असद्गुरु थकी, ऊलटो वव्यो उठाप. पूर्व पुण्यना उदयधी, मळ्यो सद्गुरु योग; वचनसुवा श्रवणे जता, थयु हृदय गतशोग. निश्चय एथी आवियो, टळशे अही उताप; नित्य कर्यो सत्संग में, एक लक्षथी आप
मोरवी, आसो, १९४६