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शास्त्रो विशेष सहित पण जो जाणियं निज रूपने, का तेहवो आश्रय परजो, मावयी साचा मने, तो पान तेने भाखियु, जो सम्मति आदि स्थळो, जिनवर यहे छ नान तने, सब भव्यो सामळो ५ आठ समिति जाणीए जो, मानीना परमाथथी, तो भान भास्यु तन, अनुसार त मोक्षायथी, निज पल्पनापी कोटि शास्त्रो, मात्र मननो आमळो, जिनवर कहे छे मान तेन, सब भन्यो सामळो ६ चार घेद पुराण आदि, पास्त्र मौ मिथ्यात्वना, यानदीसूत्र भासिया छ, भेद ज्या सिद्धातना, पण पाणीने ते मान मास्या, एज ठकाणे ठरो, जिनवर कहे छे मारा तेन सर्व भन्या सामळा ७ प्रत नही पचण नहि नहि त्याग वस्तु कोइनो, महापम तीधार पशे श्रेणिर टाणग जोई रो ऐयो जनता
राळज, भा १९४७