________________
मामा रमा
लपमा राखवा योग्य छ अमे जे मा वचन एख्या है, तेना सर्व मानीपुरुषो साक्षी छे
वीजा मुनिओने पण जे जे प्रकारे वैराग्य, उपशम मने विवेक्नी वृद्धि थाय ते ते प्रकारे श्री लल्लुजी तथा श्री देवकरणजी यथाशक्ति सभळावयु तथा प्रवविद् घट छ, तेमज मय जीवो पण या माथस मुख पाय भने जानीपुरुपनी आजाना निश्चयन पाम तथा विरक्त परिणामन पामे, रसादिनी लुपता भोळी पाहे । आदि प्रकार एक आत्मायें उपदश क्त्तव्य छ
अनतबार देहने अर्थे आत्मा गाळ्यो छ जे देह आत्माने अर्ये गळाशे ते दहे आत्मविचार जन्म पामवा योग्य जाणी, सब दहापनी वल्पना छाही दइ, एक मात्र आत्माषमा ज तनो उपयाग रखो, एवो मुमुक्षु जीवने अवश्य निस्चय जोईए
श्री सहजात्मस्वरूप मडियाद, आसो पद १०, शनि, १९५२