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अने दृश्य एटले बीजा कोई द्रप्टानो ते जाणवानो विषय छ, एटले ते पोते पोताने जाणतो नथी, तो चेतनना उत्पत्ति बने नाग ते क्याथी जाणे? ते देहना परमाणुए परमाणुनो विचार करता पण ते जड ज छे, एम समजाय छे. तेथी तेमाथी चेतननी उत्पति थवा योग्य नघी, अने उत्पत्ति थवा योग्य नयी तेथी चेतन तेमां नाग पण पामवा योग्य नथी. वळी ते देह रूपी एटले स्थूलादि परिणामवाळो छ; अने चेतन द्रष्टा छे, त्यारे तेना सयोगधी चेतननी उत्पत्ति शी रीते थाय ? भने तेमा लय पण केम थाय? देहमाथी चेतन उत्पन्न थाय छ, भने तेमा ज नाश पामे छे, ए वात कोना अनुभवने वश रही ? अर्थात एम केणे जाण्यु ? केमके जाणनार एवा चेतननी उत्पत्ति देहथी प्रथम छे नही, अने नाश तो तेथी पहेला छे, त्यारे ए अनुभव थयो कोने ?
६३ जेना अनुभवमा ए उत्पत्ति अने नाशनु ज्ञान वर्ते ते भान तेथी जुदा विना कोई प्रकारे पण सम्भवतु नथी, अर्थात् चेतनना उत्पत्ति, लय धाय छे एवो कोईने पण अनुभव थवा योग्य छे नही