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२२३ फळ पाय छे, एम गुभाशुभ फर्म, आ जीवने मा फळ आप छ एम जाणता नथी, तोपण ग्रहण करतार जीव झेर अमृतना परिणामनी राते फळ पामे छ
८४ एक राक छे अने एक राजा छ, ए आदि शब्दयी नीचपणु रुचपणु, कुम्पपणु, सुरूपपणु एम घणु विचित्रपणु छ, भने एवो जे भेद रहे छ ते, सवन समानता नयो, त ज शुभाशुभ कर्मनु भाक्तापणु छ एम सिद्ध परे छे पेमके पारण विना पायनी उत्पति पती नथी
८५ पळदाता ईश्वरनी एमा पई जार नयी झेर थने अमृतनी रीते गुभाशुभ पम स्वभाव परिणमै छ, अने नि सत्व थपेयी और अने अमृत फळ दता जम निवृत्त पाय छे, तेम प्रभाशुभ यमन भागववाथा त नि सत्व पये निवृत्त पाय छे
८६ उत्कृष्ट शुभ अध्ययसाय से उत्कृष्ट शुभगति छ, अने उत्कृष्ट अशुभ अध्यवसाय त उत्कृष्ट माभगति छ, शुभाशुभ अध्यवसाय मिश्रगति छे अने ते जीवपरिणाम ते ज मुख्यपणे सो गति छे तपापि उत्कृष्ट गुम द्रव्यन कर्यगमन, उत्कृष्ट अशुभ द्रव्यनु भयोगमन, शुभाशुमनी