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९० कमसहित अन तवाळ वी यो, ते से शुभाशुभ कम प्रत्येना जीवना आसक्तिने लीधे वीत्यो, पण तेना पर उदासीन थवायी ते कमफळ छेनाय, अने तेथी मोक्षस्वभाव प्रगट पाय
९१ दहादि सयोनो बारमै वियोग तो यया करे छे पण ते पाछो ग्रहण न धाय ते रोते वियोग परवामा माघे तो सिद्धम्वरूप माशस्वभाव प्रगरे, भने शाश्वत पद बनत आत्मानद भौगवाय
९२ मोक्षपद वदापि होय तोपण ते प्राप्त यवानो कोई अविराध एटले यथानध्य प्रतीत पाय एवो उपाय जणातो नयी, बेमने अनत माना पर्मों छे, ते आवा अपायुष्यवाळा मनुष्यदहषी म छेचा जाय ?
९३ थपवा बदापि मनुष्यहना अल्पायुष्य वगैरनी का छाडी दईए, तारण मत अने दर्शन | छे, बने ते मोगना अनक उपापा कहे छ, अर्थात वाई यई मह छ भने काई ईरह छ, तमा क्यो मत माचो ए विवक बनी परेवो नपी