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अन्यत्व भावना
(शार्दूलविीरित) ना मारा तन रूप कानि युवती, I पुत्र थे भात ना, ना मारा भृत स्नेहीओ म्वजन , ना गात्र पे गात ना, ना मारा धन धाम मोवन घरा, ए मोह अमात्य, रे!र जीव विचार एम जसरा, अपत्वदा भावा
(शार्दूलविक्रीष्टिन) देखी आगळी आप अडवी, वैराग्यवेगे गया, छाडी राजसमाजने भरतना, बयनानी थया, चोथु चित्र पवित्र एज परिते पाम्य अही पूणता, मानीना मन तेह रजन फरो, वैराग्य भाव मया
। अशुचि भावना
(गीति वृत्त) खाण मूत्र ने मळनी, रोग जरानु नियासनु धाम, काया एवी गणीने, मान त्यजीन पर साथ आम