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ર पांचमु पद - _ 'मोनपद छे' जे अनुपचरित व्यवहारथी जीवने कर्मनु पापणु निरूपण पयु, पापणु होवायी भोक्तापणु निरूपण कयु ते कर्मनु टळयापणु पण छे फेमके प्रत्यष
पायादिनु तीव्रपणु होय पण तेना अनम्यासथी, तेना अपरिचयपी, तेने उपशम करपाथी तेनु मदपणु देवाय छ ते क्षीण थवा योग्य देवाय छे, क्षीण थई भने छे ते ते बघभाव क्षीण थई शक्वा योग्य हावापी तेयो रहित एवो जे शुद्ध आत्मस्वभाव से रूप मोशपद छे घट्टपद -
ते 'मानो उपाय छे जो पदी फर्मवधमात्र धया करे एमज होय, तो तेनी निवृत्ति पोइ पाळ समय नहीं, पण पर्मवषषी विपरीत स्वमायवाला वा ज्ञान, दान, समाधि, वैराग्य, मायादि माधन प्रत्या छ जे साधन ।। यळे समयध गिपिल चाय छ, उपाम पामै छ गीण पाय छे मारे स गान, दर्शन गयमादि माक्षपदा पाम छे
श्री नानीपुराए सम्यग्दर्शनना मुस्मशियामभूत कयां एषा वा छ पद अत्रे सभेपमा गणाध्या छ ममीपमुक्तिगामी पीपने गहन विपारमा त सप्रमाण पवा पाग्य है,