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८८ आणे मारा प्रति अनुचित कर्यु एवं सभारता न शीख
आणे मारा प्रति उचित कयुं एवु स्मरण न राख. __. आ मने अशुभ निमित्त छे एवो विकल्प न कर. ____आ मने शुभ निमित्त छे एवी दृढता मानी न वेस.. : आ न होत तो हु बंधात नही एम अचळ व्याख्या नही करीश.
पूर्वकर्म वळवान छे, माटे आ बधो प्रसग मळी आव्यो एवं एकातिक ग्रहण करीग नही.
पुरुषार्थनो जय न थयो एवी निराशा स्मरीश नही. वीजाना दोपे तने बधन छ एम मानीश नही तारे निमित्त पण वीजाने दोष करतो भुलाव.
तारे दोषे तने वधन छे ए सतनी पहेली शिक्षा छे . तारो दोष एटलो ज के अन्यने पोतानु मानवं, पोते पोताने भूली जवु
ए वधामा तारो लागणी नथी, माटे जुदे जुदे स्थळे तें सुखनी कल्पना करी छे हे मूढ | एम न कर” ए तने ते हित कह्य.
अतरमा सुख छे.