Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 13
________________ C 12 // सुमित्र I हारिणी सर्वदुःखानां / पीयूषस्येव सारणिं // मातुर्वाणीमिति श्रुत्वा / स मेने सद्गुरूक्तवत् // 53 // | . अर्थ-आवी सर्व दुःखोने हरनारी अने अमृतना निर्झरणा जेवी मातानी वाणी सांभळीने तेणे ते वात सदगुरुना कहेला वचनोनो जेम अंगीकार करी // 53 // बाल्यमलंध्य स प्रोच्चै-रारुढो यौवनं नभः॥ चेतःसरसि नो कस्य / हंसवत्प्रतिबिंबितः॥ 54 // .. | अर्थ-सुमित्रकुमार बाल्यवयर्नु उल्लंघन करीने अनुक्रमे यौवनरूपी आकाशमां आरुढ थयो. ते वखते (तेना) चित्तरुप तळाव| ळीमां हंसनी जेम कोण प्रतिबिंबीत यतुं नथी. / / 54 / / सुखेनैव सुहृद्भिस्तैः / सूराथैः संयुतः पुरे // स्वेच्छाचारितथा स्थाने / स्थाने संचरति ह्यसौ // 55 // E HODM DOG DOGoogle Boo IDIODOOOOOGGEHDOODHD सशीलो भाग्यसोभाग्य-श्रिया सेवितसद्वपुः // रूपेण जितकामोऽपि / निर्विकारतया तदा // 56 // | अर्थ-ते बखते सुशील (सदाचारी), भाग्य सौभाग्यरुष लक्ष्मोबडे सेवाता सुंदर शरीरवाळो, रुपे करीने कामदेवने पण जीतनारो ते कुमार निर्विकारीपणे फरतो हतो. // 56 // .. ... यस्मिन् यस्मिन् पुरों मागें / कुमारः संचरत्यसौ // तंत्र तत्र स्वकार्याणि / त्यक्त्वा तदपमोहितैः // 57 // | अर्थ-परंतु नगरना जे जे मार्ग ते कुमार फरतो हतो ते ते मार्गे पोतपोताना कार्यो तजी दइने तेना रुपयी मोहित थइ,॥५७॥ P.P. Ac Gunrainasuri MS Jun Gun Aaradhak Trust askedindia

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