Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 125
________________ सुमित्र 25 // GOODOO ED GODDDDDDDDDDD यथापालयतां तीव्र / व्रतं तौ दंपती तथा // मुक्तिसौख्यकरं नित्यं / पालनीयं विवेकिभिः // 9 // अर्थ-जेम ते दंपतीए तीव्र चारित्र पाळ्यु तेम मुक्तिसुखने आपनारुं चारित्र विवेकीजनोए निरतिचारपणे पाळवु.॥९॥ इत्थं श्रीदानधर्मप्रकटतरलसत्सुप्रभावाढ्यमुच्चैः / श्रीमत्पार्श्वप्रसादाच्छरदहनपृषत्केंदुसंवत्सरेऽहं // ज्यायःपुर्यामकार्ष नभसि वरचरित्रं सुमित्रस्य राज्ञः। पंचम्यां शुक्लपक्षे जयतु चिरतरं वाच्यमानं पृथिव्यां॥ ___अर्थ-श्री पार्श्वनाथना प्रसादथी दानधर्मना प्रगट अने श्रेष्ट एवा सुप्रभावथी अंकित थयेलुं श्री सुमित्रनृपर्नु श्रेष्ठ एवं आ चरित्र में सं. 1535 ना वर्षे श्रावण शुक्ल पंचमीए श्री महापुरी नामनी नगरीमां वनाव्यु छे, ते चरित्र पृथ्वीपर चिरकाळ पर्यंत वंचातुं सतुं जयवंतुं वत्त. इति श्रीहर्षकुंजरोपाध्यायविरचिते दानरत्नोपाख्याने सुमित्रचरित्रे गुर्वागमनपूर्वभवप्रकाशनसंयमग्रहणमुक्तिसौख्यप्रापणवर्णनो नाम तृतीयः प्रस्तावः समाप्तः // श्रीरस्तु // // इति श्रीसुमित्रचरित्रं समाप्तम् // o आ सुमित्रचारनना भाषांतरनी चोपडी मुनि श्रीवीरविजयजी महाराज पासेथी मळेल तेथी तेमनो आभार मानू छु. आ रसिक चरित्र भाषांतर सहित छपाय तो वाल-जीवोने उपयोगो थइ पढे तेथी आ ग्रंथ जामनगर निवासी शा. विठलजी हीरालाले स्वपरना श्रेयार्थे पोताना सूर्योदय प्रेसमां छापी पसिद्ध कयु छे. // 124 // PPAC Gunratnasuri MS Jun Gun Aaradhak Trust

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