Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 53
________________ सुमित्र चरित्रम् // 52 // GOODHOODDDDDDDDDDDDEEO म भ्रातृजाया व वां मंजू-रूपा कनकमंजरी // क्व वा लोकोऽदृष्टशोकः / शून्यं किं नगरं ह्यदः // 53 // ____ अर्थ-सुंदर रुपवाळी कनकमंजरी नामनी मारी भोजाइ क्या ? नगर जनो क्यां ? आ नगर शून्य-निर्जन केम छे ?'153 // प्रियंगुमंजरी सवै / सगद्गदगिरा जगौ // समाकर्ण्य पुनर्वेश्या / विललाप सुदुस्सहं // 54 // ____ अर्थ-प्रियंगुमंजरोए गळगळा अवाजे बधी वस्तुस्थिति कही, ते सांभळीने ते वेश्या अत्यंत विलाप करवा लागी के-॥५४॥ हा दैव किमरेऽकारि / त्वयोत्तमविडंबक // मदभ्रातृपुत्रिकाहं च / महादुःखे निपातिते // 55 // - अर्थ-'हे देव ! हे उत्तम पुरुषने विडंबना पमाडनार ! मने अने मारी भत्रीजोने गाढ दुःखमां नाखीने तें आ शुं कर्यु ? जानेऽद्यापि ममास्त्येव / किंचित्पुण्यं पुराकृतं // जामाता भ्रातपुत्री च / मिलितौ मे जयान्वितौ // 56 // ____ अर्थ-छतां पण हुं मार्नु छु के मारुं पूर्वकृत पुण्य कांइक जागतुं छे के जेथी जयकारी जमाइ अने भत्रीजी मने प्राप्त थया.' // अथाग्रहेण महता / सा निन्ये निजमंदिरे // ताभ्यां विमलचित्ताभ्यां / जंगमापदिवोत्कटा // 57 // ____ अर्थ-त्यारबाद. निर्मळ-कपट रहित मनवाळा ते बन्ने जीवती जागती आपत्तिनी जेवी ते वेश्याने अत्यंत आग्रह सह पोताना मंदिरे लइ आव्या.॥ 57 // 9 कियत्यपि गते काले / समाराधयतोस्तयोः // वस्त्राहारादिभिनित्यं / कुलदेवीमिवापरां // 58 // - अर्थ-अने बीजी कुलदेवीनी जेम वस्त्र आहार विगेरेथी तेनी भक्ति करवामां आवी. ए प्रमाणे हमेश सन्मानित कराते सते DDDDDDDDDDDDDDDDDDDDLER 52 // Jun Gun Aaradhasst PPA Guntarasur MS

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