Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 73
________________ सुमित्र चरित्रम् // 72 // 圖圖圖圖圖圖回回回回回回回回回回回回回回 अतःपरमियं वेत्ति / यज्जातं तन्नृपांगजा // तत् श्रुत्वा श्रीकुमारेण | पृष्टा प्रियंगुमंजरी // 62 // _____ अर्थ-त्यार पछी जे बन्युं ते आ राजपुत्री जाणती होवाथी ते कहेशे.' एम सांभळीने सुमित्रे प्रियंगुमंजरोने त्यारपछीनो वृत्तांत पूछ्यो. / / 62 // 9 सिद्धसीकोत्तरीमायां / मुष्टिप्रज्वालनादिकां // स्वयं कृतं प्रपंचं सा। तेषां च सकलं जगौ // 63 // | अर्थ-एटले ते राजपुत्रीए सिद्धसीकोत्तरीनी माया, खड्गनी मुष्टिनु बाळी नाखg, पोते करेलो प्रपंच विगेरे वधी वात कही. - समाकण्येति दध्यो स / धन्योऽहं पुण्यवान् ध्रुवं // ईदृशाः सुहृदो यन्मे / भार्याभूदीदृशापि हि // 6 // ...अर्थ-ते.सांभळीने कुमार विचारवा लाग्यो छे-'हुं धन्य छ, पूरेपूरो.पुण्यवान छु के जेने आवा चार मित्रो अने आवी भार्या छे..६४। स्तौतिस्म सुहृदः स्तुत्यान् / भार्थी शीलादिसद्गुणां // हषोत्कर्षभरान्मिष्टां / मृद्रीमधुरया गिरा // 65 // अर्थ-पछी तेणे मित्रोना स्तुत्य गुणोनी अने भार्याना शीलादि सद्गुणोनी हर्षथी उत्कर्ष पामेली, मिष्ट, कोमळ अने मधुर | वाणीवडे स्तुति. करी. // 65 // आग्रहात् श्रीसुमित्रस्य / तत्प्रियायाश्च कन्यकाः // सूरादिभिश्चतस्त्रस्ताः। परिणीता यथाक्रमं // 66 // अर्थ-पछी सुमित्र तेमज तेनो पियाना आग्रहथी सूरादि चार मित्री श्रीविजयपत्तनथी साये लावेली चारे कन्याओने - अनुक्रमे परण्या. // 66 // .... ... // 72 // PPAC Gunratasur MS Jun Gun Aaradhak Trust

Loading...

Page Navigation
1 ... 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126