Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 81
________________ चरित्रम् // 8 // तुरंगमखुगेरखात-रजोभिः पूरितांबरे // कुहुरात्राविव स्वैरं / संचेः प्रेतराक्षसाः॥४॥ ____ अर्थ-घोडाओनी खरीओथी उखडेली धूळवडे आकाश पूराइ जवाथी अमावास्यानी रानीमा जेम स्वेच्छाए भमे तेम प्रेतराक्षसो भमवा लाग्या. // 4 // अथ योध्धं दुढौकाते / सेनान्यावुभयोरपि // जगजनचमत्कारी। प्रवृत्तस्तुमुलो रणः॥५॥.. अर्थ-मारंभमां बने सैन्यना सेनानीओ सामसामा युद्ध कस्वा लाग्या के जेथी जगजनने चमत्कार उत्पन्न करे एवो तुमुल | न ध्वनि रणभूमिमां प्रवती गयो. // 5 // खड्गघातेन वीराणा-मुत्पेदेऽग्निः परस्परं // स एव शमितो वीर-शरीररुधिरांबुभिः // 6 // अर्थ-धीर सुभटोना परस्परना खड्गो अथडावाथी अग्नि उत्पन्न थयो ते वीरजनोना शरीरोमांथी नीकळता रुधिररुप जळयो / - शांत थयो. // 6 // सुभटक्रमपातोय-धूलीभिर्विस्तृतं तमः // त्रुटत्कटकरत्नौघे-रुद्योतश्चाजनि क्षणात्॥७॥ अर्थ-सुभटोना पगना पडवाथी उछळेल धूळवडे विस्तार पामेल अंधकारमा त्रुटी पडेला कडांओमा रहेला रत्नोना समूहथी | उद्योत यइ रह्यो. // 7 // रक्तेस्तोषितवेताल / इव तत्र रणांगणे // छिन्नशीर्षा महारोद्राः / कबंधाः पर्यनर्तिषुः // 8 // PP. AC Gurrainasuri MLS Jun Gun Aalladihal Trust

Loading...

Page Navigation
1 ... 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126