Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 113
________________ सुमित्र // 112 // EDIODDEDDDDDDDDDDDDE अर्थ-आ हकीकत सांभळीने वरसादनो गरिव सांभळवाथी मयूर हर्पित थाय तेम उत्कंठित थइने राजाए ते वनपाळकने चरित्रम् दारिद्रनो विध्वंस करनार दान आप्यु.॥४५॥ ततस्तत्र क्षमाधीशः। क्षमाधीशपदांबुजं // नंतुं गजेंद्रमारूढः। प्रतस्थे सपरिच्छदः // 46 // ... अर्थ-पछी क्षमा एटले पृथ्वीना अधीश एवा ते राजाए क्षमा एटले शांतिना अधीश एवा केवळी भगवंतने नमस्कार करवा माटे हस्तीपर आरुढ थइने परिवार साथे प्रयाण कयु.॥ 46 // . . निश प्रदक्षिणीकृत्य / भगवंतं ननाम सः // धर्माशिष समासाद्य / यथास्थानमुपाविशत // 47 // - अर्थ गुरु समीप आवीने हाथीपरथी उतरी त्रण प्रदक्षिणा दइने तेणे केवळी भगवानने नमस्कार कर्योकेवलीए धर्माशीष / आपी एटले राजा विगेरे योग्य स्थाने बेठा. // 47 // | अथ दंतप्रभोन्मिश्र-स्वरदच्छदकांतिभिः // मुक्ताविट्ठमयोश्शूर्णं / संगमश्रियमुबहत् // 48 // . अर्थ-पछी दांतनी कांतिथी उन्मिश्र ओष्ठनी रक्त कांतिवडे मुक्ताफळने प्रवालना चूर्णनो संगम करती होय तेवी, // 48 // गिरा गोक्षीरपीयषा-नुकारिण्या मनोज्ञया // त्रैलोक्याहादिमाधुयों-पेतां स देशना व्यधात // 49 // अर्थ-गायना दुधने तेमज अमृतने अनुसरनारी मनोज्ञ वाणीवडे त्रण लोकना पाणीओने आहाद उत्पन्न करे तेवी मधुर | देशना देवी शरु करी // 49 // - अहो लोकाः श्रयित्वांत-मुखीभावं मनोदृशा // सुवीक्ष्यासारमुज्झित्वा / कुरुध्वं सारसंग्रहं // 50 // An 112 // DDDDDEDODOBEDDDDDDIEODE PP.Ad Guntatnasuri MS Jun Gun Aaradhak Trust

Loading...

Page Navigation
1 ... 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126