Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ सुमित्र चरित्रम् // 111 // ततः कलागुरोः पाश्वे-शिक्षत् सर्वाः कलाः कलाः // क्रमेण यौवनं प्राप / विश्वस्त्रैणवशौषधं // 40 // - अर्थ-त्यारपछी कळाचार्यनी पासेथी सर्व शुभ कळाओ शीख्यो. अनुक्रमे ते सर्व स्त्रीवर्गने वश करवाना औषधसमान यौवनावस्था पाम्यो. // 4 // पंचशतीस्ततः कन्या-श्चतुःषष्टिकलान्विताः॥ पर्यणाय्यत पित्रासौ / महानंदान्महोत्सवैः // 41 // ____ अर्थ-एटले मातापिताए मोटा आनंद-उत्सव सहित चोसठ कळायुक्त पांचसो राजकन्याओ परणावी. // 41 // जैनप्रभावनां कर्तु-रित्थं पालयतः क्षितिं // श्रीसुमित्रनरेंद्रस्य / वर्षलक्षं सुखं ययौ // 42 // अर्थ-जैन शासननी प्रभावना करता श्रीसुमित्र राजाने श्रावकधर्मनुं प्रतिपालन करता एक लाख वर्ष सुखे व्यतीत थइ गया. अथान्यदा सभासीनं / द्वारपालनिवेदितः // अवनीपं वनीपालो। हर्षोत्कर्ष व्यजिज्ञपत् // 43 // अर्थ-अन्यदा राजा सभामां बेठेल छे तेवामां द्वारपाळे आवीने विज्ञप्ति करी के-'हे महाराज ! बहार वनपालक उभो छे, ते आपने हर्षना उत्कर्ष साये निवेदन करे छे के-॥ 43 / / ... . ... .. व तवोऽद्यानेऽद्य संसेव्यः / सुरासुरमुनीश्वरैः / / यशोभद्राभिधो देव / केवलो समवासरत् // 44 // ___ अर्थ- आपना उद्यानमा सुरासुर अने मुनीश्वरोथी सेवाता श्रीयशोभद्र नामना केवळी भगवंत समवसर्या छे.' // 44 // उत्कंठितस्तदाकर्ण्य / शिखीवांबुदगर्जितं // दानं दारिद्यविध्वंसि / दत्वा तस्मै नरेश्वरः॥४५॥ 111 / / Jun Gun Aaradhak Trust PP. Ac Gunratnasur M.S.

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