Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ aeaaGODDEBEDEEPPED DEEED ___ अर्थ-तथा तेना सोम, सोहड, लक्ष्मण अने भीम नामना हमेशां प्रेमना भाजनरूप चार मित्रो हता. // 60 // सर्वदा ते च पंचापि / महारंभपरिग्रहाः॥पाशुपाल्यपरा मुग्ध-चित्ताः कर्षणवृत्तयः॥ 61 // . अर्थ-ते पांचे मित्रो मोटा आरंभ, समारंभ अने परिग्रहवाळा छतां भद्रिकतावाळा अने खेती करीने गुजरान चलावनारा हता. क्षेमश्रियान्यदादिष्टा / चेटी कार्यातरे क्वचित // नाकरोत्तेन रुष्टा सा। भर्तुरग्रे न्यवेदयत // 6 // : - अर्थ-एकदा क्षेमश्रीए कहेलु कोइ कार्य तेनी चाकरडीए कयु नहीं तेथी कोपायमान थयेली तेणीए ते वात पोताना धणी (क्षेमसार )ने कही. // 62 // | ततः सा क्षेमसारेण | तमिस्राकुलभूगृहे // निक्षिप्ता मूर्छिता त्रिंश-न्मुहूर्तास्तत्र संस्थिता // 63 // - अर्थ-एटले क्षेमसारे ते नोकरडीने अंधकारमय भोयरामां पूरी, ज्यां ते त्रीश मुहूर्त सुधी मूञ्छित अवस्थामां पड़ी रही. 63 पुना रोषं परित्यज्य / कृपाईमनसः स तां // बहिनिष्कासयामास / परं दोदूयतेस्म सा // 64 // . अर्थ-पाछळथी क्रोधने तजी दइने दयाथी भीजायेला मनबाळा तेणे तेने बहार काढी, परंतु ते (चाकरडी) मनमा अत्यंत | संताप धारण करवा लागी. // 64 // | अन्यदा क्षेमसारोऽसो / सौवमंदिरमाश्रितः॥ क्षेमश्रिया समायुक्तो / भवान्येक महेश्वरः // 65 // .. अर्थ-एकदा भवानी (पार्वती) साथे महेश्वर (शंकर.) नी जेम सेमश्री साथे क्षेमसार पोताना घरमां बेठो हतो, / / 65 / / .. 115 // I P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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