Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ सुमित्र चरित्रम् // 98 // अर्थे तावदनर्थः स्या-न्मरणं सुधया तदा // कर्पूरेण भवेदंत-पातश्चेसहि भूयतां // 7 // अर्थ-'जो अर्थथी अनर्थ थाय, अमृतथी मरण थाय अने कर्पूरथी दांतनुं पडवु थाय तो भले थाओ.' // 74 // - स्फुरत्कांतिस्ततोऽनंता-द्विद्युदंड इवापरः॥ द्योतयन् दिङ्मुखानीय | सौवर्णः पुरुषोऽपतत् // 75 // ____ अर्थ-कुमारना आवा वचनोथी अनेक विद्युत्दंड जेवो स्फुरायमान कांतिवाळो अने दिशाओने प्रकाशित करतो एक सुवर्णपुरुष त्यां पड्यो. // 75 // तृष्णातरंगिणीतोय-धरं तं हृष्टमानसः॥ कुमारो गोपयामास / कुत्रचित्स्वनिधानवत // 76 // अर्थ-तृष्णारूपी नदीओने वर्षा समान तेने जोइने हर्षित थयेळा कुमारे कोइ जग्याए खाडो खोदीने तेमां ते पुरुषने पोताना धननी पेठे गोठव्यो. .. एवमन्यत्रयाणाम-प्यात्मात्मप्रहरे ह्यभूत // परस्परमविज्ञाता / सिद्धिः वर्णनरस्य च // 77 // अर्थ-बीजा त्रण मित्रोना पहोरना वखते पण तेज प्रमाणे बन्यु अने तेमणे पण एक बीजा न जाणे तेम ते सुवर्णपुरुषने जूदे.जूदे स्थाने गोठव्यो. // 77 / / चत्वारोऽपि प्रभाते ते / स्वहेमगतमानसाः॥ इतस्ततो भ्रमंत्येव / मनो नोत्सहते गते // 78 // अर्थ-पछी प्रभात थयु, परंतु पोतपोताना सुवर्णपुरुष संबंधी लालसावाला तेओ त्यांने त्यां आमतेम भमवा लाग्या. कोइनु नमन त्यांथी आगळ चालबार्नु थयुं नहीं. // 78 // . LOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOन ना॥९८॥ P.PAC Gunrainesuri MS Jun Gun Aaradhak Trust

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