Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ सुमित्र चरित्रय // 82 // एवं विजित्य शत्रन स / चंपाराज्ये निवेश्य तं // संग्रामाख्यं तथान्यांश्च / खंडखंडेषु भूपजान् // 14 // | अर्थ-ए प्रमाणे शत्रुओने जीतीने चंपापुरीना राज्य उपर संग्राम कुमारने स्थापन को तेमज वीजा भाइओने जूदा जूदा / विभागो आप्या. // 14 // HI मिलनाय समायांतं / ततो माता विलोक्य तं // नवमेघपयःसिक्ता / वनालीव व्यराजत // 15 // ___अर्थ-वाद पोते माताने मळवा माटे राजमहेलमां आव्यो, तेने जोइने भीतिमती राणी नवा वरसादना पाणीथी सींचायेली बनराजीनी जेम विकस्वर थइ. // 15 // प्रणिपत्य मुदा पादौ / मातुरादाय चाशिषं // कियत्कालं स्थितो भ्रातु-राग्रहेण सुखं ततः॥ 16 // अर्थ-पछी माताने पगे लागीने, तेमनी आशीष मेळवीने भाइओना आग्रहथी केटलोक काळ त्यां आनंदथी रह्यो. // 16 // आपृच्छय बांधवान् सार्धं / जनन्या सैन्यसंयुतः॥ जितकाशी निजद्रंग-समीपे समुपेयिवान् // 17 // अर्थ-पछी भाइओने पूछीने तेमनी रजा लइने माता अने सैन्य सहित विजेता सुमित्र राजा त्यांथी नीकळी पोताना नगरनी समीपे आव्यो. // 17 // शुभमुहूर्तमवाप्य नरेश्वरः / प्रवरसिंधुरवाहनबंधुरः // कनकतोरणवंदनमालिकं / स्वनगरं प्रविवेश विशालकं // 218 / / TO ODDOOOOOOOOOOOODegaoo. PPA Gunnanasur MS Jun Gun Aaradhak Trust

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