Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ यमित चरित्रम // 9 // यदुक्तं श्रीमदावश्यके-जेण कुलं आयत्तं / तं पुरिस आयरेण रक्खिजा // न ह तुंबे य विणठे। अरया साहारया इंति // 34 // __ अर्थ-श्री आवश्यकसूत्रमा कयु छ के-जेना आधार उपर आखं कुळ होय तेनी आदरपूर्वक भक्ति करवी, कारण के गाडाना पैडानुं तुंब विनाश पामे छते आराओ साजा रही शकता नथी. // 34 // | ततस्ते निशि चत्वारो-ऽप्यनापृच्छय निजान् पितृन् / स्वस्वावासात्स्वसंकेत-स्थानमेत्य ततोऽचलन् / .' अर्थ-आ प्रमाणे निर्णय करीने चार जणा रात्रीए पोतपोताना मातापिताने पूछया सिवाय पोतपोताना आवासथी नीकळीने संकेतस्थाने एकठा थइ आगळ चाल्या. // 35 // तस्मिन्नेव दिने दूरं / सायं ग्राममवाप्य ते // श्रांताः सुप्तात्रयस्ताव-न्महाधाटी समाययो // 36 // __ अर्थ-तेज दिवसे सांजे एक गाममा जइने थाकेला एवा त्रणे जणा सुइ गया, तेवामां चोरनी धाड आवी. // 36 / / तदारक्षकपुत्रेण / खड्गखेटकधारिणा // घोरयुद्धेन भग्ना सा / जीवग्राहं गता क्षणात् // 37 // , अर्थ-ते वखते खड्ग तथा धनुष्यने धारण करनारा आरक्षकना पुत्रे घोर युद्ध करीने तेओने भगाड्या, तेओ जीव लइने त्यांची भागी गया. // 37 // हृष्टो लोको द्वितीयेऽह्नि / तानभोजयतादरात् // मुक्त्वा स्थित्वा सुख किंचि-च्चेलुस्ते पुनरपतः // 38 // GODIODOOOOOOOOOODOOOOOनन . // P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradtak Trust

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