Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 76
________________ सुमित्र चरित्रम् // 75 // DDDDDDDDDDDDDDDDDDD MED ___अर्थ-त्यारवाद अनेक राजाओनी पुत्रीओ साथे तेणे लग्न कर्या अने उत्कृष्ट बुद्धिवाळा तेणे प्रियंगुमंजरीने महाराणी पदे स्थापन करी. // 78 / / कियत्यपि गते काले। ते द्वाविंशतिसोदराः // सेवितुं तं नवं भूपं / समीयुः क्षत्रियास्ततः॥ 79 // ____ अर्थ-केटलोक समय वीत्या बाद तेना बावोश बंधुओ ते नवीन राजानी सेवाने माटे ते नगरमां आव्या. // 79 // षण्मासानंतरं सूर-मंत्रिणानीय मेलिताः॥ वित्थायवदना राज्ञा / तत्कालं चोपलक्षिताः // 8 // अर्थ-छ महीना बाद खेदयुक्त मुखवाळा तेओने राजा आगळ मेळाप माटे लाववामां आव्या. राजाए तरतज तेने ओळख्या, साम्राज्यपदमारूढो / भूपस्तैनोपलक्षितः // भृशं निरीक्षितोऽपीह / परब्रह्म कुयोगिवत // 1 // ____अर्थ - परंतु कुयोगी जेम परब्रह्मने ओळखे नहीं तेम साम्राज्यपदने भोगवता एवा ते राजा (सुमित्र) ने अत्यंत बारीकाइथी जोवा छतां पण तेओ ओळखी शक्या नहीं. // 81 // पृष्टा नरेश्वरेणैते / के यूयं कुत आगताः॥ किमर्थ कथमत्यंतं / निःश्रीकास्ते ततो जगुः // 2 // ___ अर्थ - पछी राजाए तेओने पूछ्यु के-'तमे कोण छो? क्यांथी आवो छो ? शा कारणे अहीं आव्या छो ? अने तद्दन शोभा विनाना केम थइ गया छो?' एटले तेओ बोल्या के-॥८२ // श्रृणु श्रीनपकोटीर-रत्नरंजितसत्क्रम // चंपापुर्यामभूद्वयों। राजा धवलवाहनः॥८३॥ अर्थ-हे नृपनी श्रेणीना मुकुटमा रहेला रत्नोथी रंजित चरणकमळवाळा राजन् ! सांभळो ? चंपापुरी नामनी नगरीमा श्रेष्ठ al // 75 // PP.ALGunmathasun M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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