Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 78
________________ सुमित्र चरित्रम् // 77 // BEEEEEEEEEEEDDDDDDDED राज्यभ्रष्टा वयं देव / भ्रमंतः सकलां भुवं // खनिर्वाहकरं क्वापि / स्थानं नैवालभामहि // 89 // अर्थ-राज्यभ्रष्ट एवा अमे अनेक स्थान भम्या परंतु अमारो निर्वाह थाय तेचु कोइ पण स्थान अमने प्राप्त थयु नहीं. // 89 // स्वगुणैर्विश्वविख्यातं / भवंतं नवभूभुजं // श्रुत्वा वयं महीपाल / त्वामागच्छाम सेवितुं // 9 // अर्थ-एम फरतां फरतां पोताना गुणोथो प्रख्याति पामेला एवा तमने नवा राजाने सांभळीने हे महीपाल ! अमे तमारी सेवा करवाने माटे अहीं आव्या छीए. // 9 // श्रुत्वेत्युत्थाय भूपालो / बाढमालिंग्य तान् जगी // त्रयोविंशोऽस्ति यः सोऽहं / युष्माकं लघुबांधवः / 91 // | ...अर्थ-आ. प्रमाणे तेमनी हकीकत सांभळीने राजा एकदम पोताना सिंहासनपरथी उठीने गाढ आलिंगन दइने तेमने भेट्यो | अने कयु के-" हे वडील बंधुओ ! हुं तमारो वेवीशमो नानो भाइ छु, / / 91 // - मया पूर्वार्जितैः पुण्यैः / सान्निध्यात्सुहृदां पुनः // प्राज्यं राज्यमिदं प्राप्तं / भवद्भिपभुज्यतां // 92 // - अर्थ में पूर्वभवमां उपार्जन करेला पुण्यथी आ चार मित्रो अने आ विशाळ एबुं राज्य मेळव्यु छे तेने हे बंधुओ ! तमे | मुखपूर्वक भोगवो.” // 92 // | अहो पुण्यमहो भाग्य-महो ओदार्यतास्य च // असो सर्वगुणाधारः / कीदृग्राज्यमवाप्तवान् // 93 // | सविस्मयमिदं ध्यात्वा / किंचित्कालं विलंब्य च // प्रस्तावे प्रोचिरे तैस्तु / श्रुणु भ्रातर्नरेश्वर // 94 // DODDEDDCDDOODOODDODOGGE PP.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust

Loading...

Page Navigation
1 ... 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126