Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ चरित्रम् सुमित्र || IS एवो धवलवाहन नामनो राजा छ. / / 83 // ज| तस्यः पुत्रा वयं सर्वे / एकोऽभूदपरः पुनः // महाजनेन चास्माभिः / प्रेरितेन स भूभुजा // 84 // ___अर्थ-तेना अमे बधा पुत्रो छीए. ते राजाने एक बीजो पुत्र हतो परंतु महाजननी तेमज अमारी प्रेरणाथी राजाए तेने त्यांथी // 76 // काढी मूक्यो. // 84 // निष्काशितो निजादाज्या-चिंचामणिरिवोत्तमः // चतुर्भिः सखिभिः सार्धं / न ज्ञातः स कुतोऽगमत् // ___ अर्थ-चिंतामणि जेवो उत्तम से राजपुत्र तेना चार मित्रो साथे त्यांथी क्यां गयो तेनी अमने खवर मळी नहीं // 85 // तन्माता तद्गुणान् रम्यान् / स्मारं स्मारं निरंतरं // रुदत्यस्ति जनान् सर्वान् / रोदयंती पुरःस्थितान् // ____ अर्थ-तेनी माता सेना मनोहर गुणोने संभारती सती निरंतर रुदन करती हती अने पासे रहेला सर्व जनोने रोवरावती हती. राजा महाजनस्तस्मिन् / पश्चात्तापं गतेऽकरोत् / / ततः स्तोकेन कालेन / स भूपः स्वर्भुवं ययौ // 87 // . अर्थ-ते राजपुत्रना गया पछी राजाने अने महाजनने घणो पश्चात्ताप थयो. त्यारपछी थोडाज वखतमां राजा धवलवाहन स्वर्गवासी थयो. // 87 / / राज्यकल्पद्रुमोऽस्माकं / पितृपूर्वागतोऽपि सः // जगृहे पुण्यहीनाना-मभाग्यैः शत्रुभिर्बलात् // 88 // अर्थ-अमारं परंपराथी आवेलुं राज्य पुण्यहीनना पासे कल्पवृक्ष रहे नहीं तेम अपारी पासे रघु नहीं, अर्थात् अमारा शत्रुओए चळात्कारे खेंची लीधुं. // 88 / / PP.AC.Gunratnasuri M.S. DDDDDDDDDDDDDDDDDDDED Jun Gun Aaradhak Trust

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