Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ सुमित्र चरित्रम् // 53 // DADDDDDDDDDDDDDDDDDDDED केटलोक समय बीत्या बाद, / / 58 // एकदा नृपजा पृष्टा / तया कुटिलचित्तया // वत्से कोऽयं कथंकारं / त्वमूढानेन तद्वद // 59 // ___ अर्थ-कुटिल मनवाळी ते. वेश्याए राजपुत्रीने पूछ्यु के-'हे पुत्री ! आ तारा पति कोण छे? अने तु केवी रीते तेनी साथे परणी ? ते कहे' // 59 // | साप्यूचे श्रूयतां मातः / सम्यग्जाने न कोऽस्त्ययं // दुर्दीतराक्षसं हत्वा / परिणीतास्मि तेन च // 6 // | अर्थ-तेणीए कयु के-'हे माता ! सांभळो ? आ कोण छे ते 9 योग्य रीते जाणती पण नथी, भयंकर एवा राक्षसने हणोने 9 ते मने परण्या छे. // 60 // | पुनरूचे तया पण्य-स्त्रिया सगद्दस्वरं // आधारोऽस्त्यावयोरत्र / वत्सेऽसावंधष्टिवत // 61 // ___ अर्थ-आ प्रमाणे सांभळीने तेणीए गळगळा सादे कडधु के-'आंधळानी लाकडीनी जेम आपणा बन्नेनो ते एक-मात्र आधार छ, मनोऽनेन मया ह्यस्मा-लज्ज्यतेऽतस्त्वयैव हि // एकांते कांतमाकार्य | कथनीयमिति स्फुटं // 62 // | अर्थ-तेनी साथे बातचीत करतां मारुं मन सहज शरम अनुभवे छे, तेथी तारे तारा वल्लभने (पतिने) एकांतमां आ प्रमाणे व स्पष्ट कहेवु के-।। 62 // शुन्येऽस्मिन्नगरे यक्ष-राक्षसादिभयाकुले // निश्चितं स्थीयते नाथ / किमर्थं काननोपमे // 63 // PP.AC.Gunratnasuri M.S. Sun Gun Aaradhak Trust

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