Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ all. . . सुमित्र ततोऽसौ नृपजा शोक-द्विधाभूतमना इव // रुरोद रोदसीकुक्षि / पूरयंती प्रतिखनैः // 8 // __ अर्थ-ते वखते राजपुत्री शोकथी वे विभाग यइ गयेला मनवाळी होय तेम अत्यंत रुदन करवा लागी के जेना प्रतिध्वनियी | आकाश ने भूमिनो मध्यभाग पूराइ गयो. // 80 // | हा वल्लभ रहस्युक्तं / नावदिष्यमहं पुनः॥पापिन्या अग्रतः कष्ट-मभविष्यत्कथं तव // 81 // ___ अर्थ-ते मनमां बोली के-'हा वल्लभ तमे एकांतमां कहेली वात जो में आ पापिणीनी पासे करी न होत तो आ कष्ट उत्पन्न थात नहीं.॥ 81 // हाहा प्राणेश हा नाथ / हा दयांभोनिधे तव // मर्मवाक्यं मया प्रोक्त-मस्यास्तु पुरतः किमु // ____ अर्थ-हा माणेश! हा नाथ ! हा दयांभोनिधि ! में तमारां मर्मवाक्य आ दुष्टानी पासे शा माटे कह्यां? // 82 / / संसारेऽस्मिन्नसारेऽहं / त्वां विना जीवितेश्वर / कारागार इवोषित्वा / जीवंत्यपि करोमि किं // 3 // | अर्थ-हे जीवतेश्वर ! आ असार संसारमा तमारा विना कारागृहनी जेम रहीने हुं जीवती पण शुं करी शकुं? // 83 // नावदेकजीवितां दीनां मामवज्ञाय तिष्टसि // मौनमाधाय किं स्वामिन् / देहि वाचं सुधोपमां // 8 // | ____ अर्थ-हे स्वामिन् ! तमारी साथे एकजीववाली ने दीन एवी मारी अवज्ञा करीने तमे मौन धारण करीने केम रखा.छो? मने अमृत जेबी वाणीवडे काइक जवाब तो आपो ? // 84 / / 82 // जब ROMDERनननननननन // 57 // PR.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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