Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 67
________________ सुमित्र चरित्रम् || अर्थ-पछी भक्तिपूर्वक तेने जमाडीने तेणीए तेओने पूछ्यु के-'तमे कोण छो ?' त्यारे ते बोल्या के-'अमे राजकुमार सुमित्रना मित्रो छीए. // 27 // आपृच्छय सुहृदं ग्रामे-ऽस्माभिर्भव्याः पृथक्पृथक् // गुरूणां पुरतो विद्या / जगृहे तस्य हेतवे // 28 // // 66 // अर्थ-मित्रनी रजा लइने अमो बधा-जूदा पड्या हता. अमे तेना माटे गुरु आगलथी विद्याओ प्राप्त करी. // 28 // कुमारानुपदं भरे। पदानुगमविद्यया // शून्यं नगरमायाता-स्तत्रापि मिलितो न सः / / 29 // ____ अर्थ-हे भद्रे ! पदानुचारिणी विद्याना प्रमावथी कुमारना पगले पगले अमे एक उज्जड नगरमां गया, परंतु त्यां ते मळ्या नहीं. यत्र यत्र स चिक्रीड | नानोद्यानजलाशये // तत्र तत्र पदे दृष्टे / तस्य कस्याः स्त्रियोऽपि च // 30 // ___अर्थ-जूदा जूदा अनेक बगीचाओ अने जलाशयो ज्यां ज्यां कुमारे क्रीडा करी हती त्यां त्यां तपास करतां कोइक खोना पगलां पण तेनी साथे जोवामां आव्या. // 30 // ततोऽन्यत्र सुमित्रस्य / पदं नोपलभामहे // अतोऽनुपदमायाता | द्वयोरेव स्त्रियोः पुनः // 31 // अर्थ-त्यारवाद कोइपण स्थळे मित्र सुमित्रनुं पगलं अमने मळ्युं नहीं, जेथी बे स्त्रीओना पगलांने अनुसरता अमो अहीं आव्या. तयोर्मध्ये त्वमेकासि / यदि जानासि भामिनि // तर्हि त्वं कथयास्माकं / सुहृदं प्राणवल्लभं // 32 // अर्थ-हे स्त्री ! ते बेमांनी तमो एक छो, तेथी जो तमे जाणता हो तो प्राणवल्लभ एत्रो अमारो मित्र क्यां छे ते कहो? // 32 // // 66 // PP AC Gun atrasun MS Jun Gun Aaradhak Trust

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