Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 65
________________ सुमित्र चरित्रम् // 64 // मणी मोकली. // 16 // उच्छलकामकल्लोलः / स्त्रीलोलो मकरध्वजः॥ सन्मुखः सपरीवार-स्तावदागात्प्रमोदभाक् // 17 // ___अर्थ-उछळता काम-अंकुरवाळो, स्त्री-लालचु मकरध्वज राजा आनंदित थयो सतो परिवार युक्त सामो आव्यो. // 17 // तदा तां वीक्ष्य कुर्वाणां / रंभां रूपेण किंकरी // खचित्ते मुमुदेऽत्यंतं / नृपः श्रीमकरध्वजः // 18 // __अर्थ-त्यां रंभाना रुप सरखी तेणीने जोइने राजा मकरध्वज पोताना मनमा अत्यंत हर्पित थयो. // 18 // सस्नेहं कोमलैर्वाक्यैः-स्तामित्याह धराधवः // समानीय मनोहारं / सालंकारं सुकुंजरं / / 19 // अर्थ-पछी मनोहर अने अलंकारोथी भूपित एवा श्रेष्ठ हस्तीने त्यां लावीने स्नेहपूर्वक कोमळ वचनोवढे राजा बोल्यो के-१९। समारुह्य मया साकं / बंधुरं सिंधुरं प्रिये // मन्मनोरथसंपत्य / समलंकुरु मंदिरं // 20 // ___अर्थ-' हे पिया ! मारी साथे आ हाथी उपर बेसीने नगरमां चाल अने मारा बांछितोनी पूर्णताने माटे मारा राजमंदिरने शोभावाळु बनाव.' // 20 // सुशीला सा ततः काल-विलंबाय जगी नृपं // मासमेकमहं दान-मावयोः श्रेयसेऽर्थिषु // 21 // मदत्वात्रैव स्थिता राजन् / युष्माकं सुप्रसादतः॥ अवश्यं तत्करिष्यामि / युक्तं यत्तदनंतरं // 22 // ___ अर्थ:काळ व्यतीत करवाना मिषी निर्मळ शीलवाळी तेणीए राजाने कछु के-'आपण बनेना (पति-पत्नीना) कल्याण माटे // 64 // P. PAC Gunnanasun MS Jun Gun Aaradhak Trust

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