Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________ सुमित्र चरित्रम् // 61 // WEDनान न न न DDDDDDDDDD DED al अर्थ-अज्ञात कुळशीलवाळा आ. एकाकी पुरुष उपरथी अने आ श्मशान जेवा नगर उपरथी प्रीतिः तजी दइने तुं मारी साथे चालः / / 100 // ..... . ... .... . . ... | मकरध्वजराजस्य / निबिडस्नेहसागरं // उत्कल्लोलं कुरु स्वस्य / मुखसच्चंद्रदर्शनात् // 1 // ___ अर्थ-वळी मकरध्वज राजाना निबिड स्नेहसागरने तारा मुखरुप चंदना दर्शनवड़े उछळता कल्लोलवाळो कर.' // 1 // श्रुत्वेति वचनं तस्या | हालाहलविषोपमं ॥बहपीडाकरं मेने। सतीशतशिरोमणिः // 2 // न अर्थ-आ प्रमाणे हळाहळ झेर जेवा तेना. वचनोने सेंकडो सतीओमां शिरोमणि एवी तेणीए बहु पीडाने करनारा मान्या.।२। | ततः साह कथं वृद्धे / लोकद्वयविनाशकृत् // इदमुक्तं महत्पाप-कारि हीनजनोचितं // 3 // न : अर्थ-पछी ते बोली के- हे वृद्धे ! तें आ कथन महापापकारी, हीनजनोने उचित अने बन्ने लोकनो विनाश करनारूं कहेल छे. न कनकस्य सुमं शंभो-मस्तके वाथ भूतले // पतत्येव यथा तद्व-कुलस्त्रीणामयं क्रमः॥४॥ न अर्थ-परंतु कनक (धतुरा) ना पुष्पो तो शंभु (शिव) ना मस्तके चडे अथवा जमीनपर पडे. तेनी जेम कुलीन स्त्रीनो आज क्रम छे के, // 4 // भर्तारमेव सेवंते / नो चेद्वहिं स्फुरच्छिखं // मनागपि मनोऽन्यत्र / म कुर्वति कदाचन // 5 // .. ज ' अर्थ-ते भरिने सेवे अथवा स्फुरायमान अग्निने सेवे; कदापि पण अन्यत्र पोताना मनने जरापण चलित करे नहीं.॥५॥ DOOOOOOOOOOOOOOOOOODबन 11.61 // PP.AC.Gunratnasurt M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

Page Navigation
1 ... 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126