Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ 1 ममित्र | सुमित्रो जननी प्रोचे / स्थेयमत्रैव हि त्वया // यदन्ये विषमा देशाः / सुकुमारं वपुस्तव // 69 // ___ अर्थ-सुमित्र माताने कहे छे के-' हे माता! तमारे तो अहींज रहेg योग्य छे, कारण के परदेशो विषम होय छे अने तमारुं शरीर अति सुकोमळ छे. // 69 // . | सर्वथैव मया त्याज्यो / देशोऽयं पितुरात्मनः // अन्यथा मारयत्येव / राजा मित्रं न कस्यचित् // 7 // ___अर्थ-मारे तो मारा पितानो आदेश सर्वथा मान्य राखवो पडशे, कारण के तेम न करूं तो राजा मारा प्राण हरे. राज कोइना मित्र होता नथी.॥७॥ आगच्छंती निवायेति / मातरं मधुरोक्तिभिः ॥प्रणम्य परया भक्त्या। प्राप्याशिषमविघ्नदां // 71 // ___ अर्थ-आ प्रमाणे कहीने साथे आववाने इच्छती मातानु मधुर वचनवडे निवारण करी परम भक्तिथो तेने प्रणाम करी, अविघ्नकारी एवी तेनी आशीष मेळवी // 71 // | सूरसीधरसुत्राम-सागरैः सखिभिः सह // खड्गखेटकमादाय / नगर्या निर्ययौ बहिः // 72 / / युग्मं // अर्थ-सूर, सीधर, सुत्राम अने सागर ए चारे मित्रोनी साथे खड्गने सहायकपणे लइने ते नगरनी बहार नीकळ्यो. // 72 // उत्तरां दिशमाश्रित्य / बहुग्रामपुराकुलां / / पश्यन् वसुमतीमेतां / नानाश्चर्यसमन्वितां // 73 // - अर्थ-पछी उत्तर दिशा तरफ चालता घणा गामो अने नगरोवाळी अने अनेक प्रकारना आश्चर्योवाली पृथ्वीने जोतां // 73 // SIDDOOGOOGOOG DOODDE GODDDDDDDDDDDDDDDD BEE // 15 // PP.AC.Gunratnasuri MS. Jun Gun Aaradhak Trust

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126